जलगाँव(तेज़ समाचार प्रतिनिधी): पोलंड, पोर्तुगाल, सायप्रस, स्लोव्हाकिया व बेल्जियम इन पाच युरोपियन देशों क ा प्रत्येकी एक विश्वविद्यालय एवं भारत के पाच विश्वविद्यालयों का समावेश होने वाली इरास्मस प्लस इस युरोपियन देश की योजना द्वारा लगभग सात करोड़ की निधी से निर्माण किये जाने वाले कन्सोर्टियम प्रकल्प में उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय का समावेश हुआ है।
कुलपति प्रा.पी.पी.पाटील के मार्गदर्शन में हाल ही में सामंजस्य करार किया गया। इस महत्वपूर्ण प्रकल्प अंतर्गत भारत के पाच विश्वविद्यालयों में (उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय सहित) क्षमता विकसित केंद्र (कॅबसीन) स्थापन किया जाएगा। यह केंद्र अद्ययावत एवं अंतरराष्ट्रीयस्तर पर रहेगा। इसमें ऑनलाईन पाठ्यक्रम के लिये वेब प्लेटफार्म विकसीत किया जाएगा। इसके लिये विश्वविद्यालय के पाच शिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय दर्जे का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस केंद्र का उपयोग प्राध्यापक, कर्मचारी एवं विद्यार्थियों के लिये होगा। विश्वविद्यालय से जुडे महाविद्यालयों क ा भी इसमें समावेश होगा। इसके द्वारा वीडिओ लेख्र, नोटिस, प्रजेंटेशन, असाइनमेंट विद्यार्थियों को एवं अध्ययनकारों को प्राध्यापकों की ओरसे उपलब्ध की जाएगी। इस प्रकल्प अंतर्गत प्राध्यापक एवं कर्मचारियों को प्रतिनिधीक स्वरूप में युरोपियन विश्वविद्यालय में जाने का अवसर प्राप्त होगा।
यह प्रकल्प कार्यान्वित होने के बाद मार्च माह में पारूल विश्वविद्यालय, बडोदा में उसके बाद जुलाई में फेडरीक विश्वविद्यालय सायप्रस में इस संदर्भ में बैठक होकर आगामी तीन साल का नियोजन, ढांचा निश्चित किया गया। सितंबर माह में अहमदाबाद में बैठक होगी। उमवि की ओरसे प्रभारी कुलसचिव प्रा.ए.बी.चौधरी एवं ए.एम.महाजन सम्मिलित होंगे। इस बैठक में केंद्र कैसा होना चाहिए, उसकी सुविधाओं के बारे में चर्चा होगी। फरवरी २०१८ में इस प्रकल्प के १० भारतीय एवं युरोपियन विश्वविद्यालय के व्यवस्थापन प्रतिनिधियों की बैठक होगी। अंतरराष्ट्रीयस्तर पर उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय का शैक्षणिक संशोधन का दर्जा बढ़ाने के लिये यह प्रकल्प बड़ा उपयोगी रहेगा।