जामनेर (तेज़ समाचार प्रतिनिधि ):10 जून को वाकडी मे दलित नाबालिको की सवर्ण तत्वो द्वारा हुयी निर्वस्त्र पिटायी के बाद गांव मे प्रतिदिन लग रहा नेताओ और प्रशासन की संस्थाओ का जमघट का दौर बरकरार है . इसी जमघट मे हाजरी लगाने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री श्री रामदास आठवले शनीवार सुबह वाकडी पहुचे और पिडीत परीवारो से मिले . जहा उन्होने कहा की बौद्ध तथा मातंग समाज यह दोनो एक हि है , नाबालिको पर कीया गया हमला यह अन्नाभाऊ साठे के विचारो पर किया गया हमला है जिसे कतयी बर्दाश्त नहि कीया जा सकता इस तरह की तानाशाहि के विरोध मे अनू – जाती के सभी तबको ने संगठीत होना आवश्यक है , पिडीत परीवार को आरपीआई की ओर से 50 हजार की नगद राशी दि जा रहि है साथ हि समाज कल्याण विभाग से एक लाख रुपया पिडीतो को दिया जाएगा , अन्नाभाऊ साठे विकास प्राधिकरण की ओर से बिजनेस के लिए तत्काल ऋण भी मुहैय्या कराया जाएगा अगर पिडीत बच्चे पढना चाहते हो तो उनका स्कूल मे दाखिला कराया जाएगा और मुख्यमंत्री सहायता निधी से अतिरीक्त आर्थिक मदत देने का मेरा प्रयास रहेगा .
तत्पश्चात तडके सुबह 8 बजे अनू – जाती अनू जनजाती आयोग ने पिडीतो से मिलकर अपनी रिपोर्ट पर पेपरवर्क कीया . दोपहर पूर्व मंत्री चंद्रकांत हंडोरे परीजनो से मिले . फीर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सात सदस्यीय टीम ने पिडीतो से साक्षात्कार कीया जिसमे टीम लिडर प्रविण घुगे ने पिडीत बच्चो से बात की और इस मामले को राजनीतीक रंग देने से बचने की नसीहत देते हुए पिडीतो को न्याय दिलाने पर ध्यानाकर्षन करने की सलाह परीजनो को दे डाली . इसके बाद सुत्रो के मुताबीक अन्नाभाऊ साठे के प्रपौत्र सचिन साठे ने पिडीतो से भेट कर मामले की संजिदगी को समझा . विदीत हो की इस मामले मे जहा कीसी छदम राजनीतीक हस्तक्षेप की दबी आवाज मे चर्चा अब तक की जाती रहि है उसे लेकर कोई भी नेता खुले तौर पर स्विकार नहि कर रहा है . वहि पिडीतो की माताओ द्वारा कानून की विभिन्न धाराओ नूसार दायर प्राथमिकी के बाद जिस बावडी मे तैरने को लेकर दबंगो ने बच्चो को पिटा था उस बावडी के बजाय पुलिस पंचनामे मे दूसरी बावडी का कीया गया जिक्र संदेहस्पद है . मामले मे तिसरे पिडीत बच्चे के माता-पिता इस पुरे माजरे मे नहि फंसना चाहते है जिसका कारण उनकी रोजमर्रा की कठिण जिवनशैली बताया जा सकता है जो वास्तविकता भी है . बहरहाल जिलाधिकारी के आदेश के बाद मातंग बस्ती मे मुहैय्या करायी गयी पुलिस टीम के बावजूद अपने बच्चो पर हुए अन्याय के खिलाफ लड रहे उन दो परीवारो को आए दिन इस बात को लेकर उनकी पारीवारीक सुरक्षा की चिंता सता रहि है की आखिर व्यवस्था के खिलाफ जारी उनकी इस लडायी मे मानवीय दृष्टिकोण और प्रासंगिकताओ के चलते उनके प्रती मिडीया की बदोलत चलाया जा रहा यह आंदोलन प्रशासन के आशावादी समन्वय के भरोसे आगे कीतना असरदार और आश्वासक साबीत होगा .