जलगांव (तेज समाचार प्रतिनिधि). शहर की लोकसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है. इसी तरह शहर के उद्योगधंधे, छुटपुट व्यवसाय बढ़ रहे है. जिसके कारण सीधे रास्तों पर छोटे-बड़े व्यवसाय धारकों ने अपनी दुकाने लगा दी है. जिसके कारण अतिक्र मण की बड़ी समस्या निर्माण हो गई है. इस अतिक्रमण की समस्या पर हमेशा के लिये मार्ग निकालने के लिये प्रभारी आयुक्त ने अवैध अतिक्रमण जमीन दोस्त करने के आदेश दिये थे. किन्तू उसका भी कुछ उपयोग नहीं हुआ. १५ दिनों पहले अतिक्रमण विभाग की ओर से चलाई गई मुहिम में शहर क ा ६० प्रतिशत अतिक्रमण निकाला गया था. किन्तू सप्ताहभर में ही अवैध निकाला गया अतिक्रमण पुन: जैसे के वैसा हो गया है. जिसके कारण प्रभारी आयुक्त तथा जिलाधिकारी निंबालकर के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है.
– फुलेमार्केट सहित शहर के हॉकर्स जैसे थे
विगत माह पहले पभारी आयुक्त के आदेश पर अतिक्रमण विभाग की ओर से जोरों पर मुहिम चलाई गई. इसमें फुले मार्केट सहित शहर क ी अवैध जगहों पर होने वाली सामग्री सहित हॉकर्स धारकों की दुकाने जमीनदोस्त की गई है. शहर में आठ दिन मुहिम तीव्र की गई थी. हॉकर्स धारकों की कईं गाडिय़ों की तोडफ़ोड़ की गई. सभी हॉकर्स धारकों ने विरोध जताते हुए मनपा पर मोर्चा निकाला था. बड़े पैमाने पर नुकसान होने से यह मुहिम रोकने की मांग की गई थी. किन्तू इस बारे में संबंधित प्रशासन एवं हॉकर्स धारकों में किसी भी प्रकार का हल नहीं निकला गया. इसी लिये हॉकर्स धाकरों ने अपनी-अपनी जगह पर फिरसे दुकाने लगा दी है. जिसके कारण शहर में पुन: अतिक्रमण जैसे के वैसे हो गया है.
– बलिरामपेठ में भी अतिक्रमण कायम
शहर के फुले मार्केट एवं गोलाणी मार्केट यह व्यवसाय तथा नागरिकों को सुविधा एवं मध्यवर्ती इलाके में होने के कारण यहां बड़ी भीड़ रहती है. बलीरामपेठ यह सब्जी मार्केट के रूप में पहचाना जाता है. जिसके कारण यहां बड़ी भीड़ होती है. इसी लिये यहां हर बार यातायात में रूकावट निर्माण होती है. अतिक्रम धारकों ने पुन: अपनी दुकाने लगा दी है. इसमें बलीराम पेठ, भजी गली, नये बस स्टैंड, कोर्ट चौक, सुभाष चौक, शनिपेठ, भिल पुरा, नेरी नाका, चित्रा चौक, शिवाजी नगर रोड, आदि परिसर के अतिक्रमण की गंभीर समस्या है.
– अतिक्रमण विभाग की कोई ठोस भूमिका नहीं
मनपा का अतिक्रमण विभाग केवल कारवाई करने में व्यस्त होता है. किन्तू ठोस कारवाई करने में अधिक्षक आगे नहीं आते है. जिसके कारण यहां अतिक्रमण धारक पुन: अपनी दुकाने लगा देते है. तथा कुछ दुकानधारकों से कुछ कर्मचारी पैसे एठंते है जिसके चलते दुकान धारक अपना व्यवसाय उत्तम तरीके से चलाते है. ऐसा नागरिकों द्वारा खुलेआम बोला जा रहा है. दुकान केवल नाम के लिये निकालते जाते है एवं कुछ दिनों में जब्त की गई सामग्री वापिस की जाती है ऐसा प्रकार काफी समय घटित हुआ है. अतिक्रमण विभाग केवल कारवाई के सिवाय कुछ भी नहीं कर सकता.