जामनेर ( तेज़ समाचार प्रतिनिधि ) – जुलाई के आखरी सप्ताह तक तहसिल क्षेत्र में मौसम विभाग द्वारा नपाई योग्य बारीश हुई ही नही है। जिसके चलते अब अकाल जैसी स्थिती पैदा होने का डर सताने लगा है। क्षेत्र के 12 टीएमसी क्षमता वाले वाघुर बाँध में केवल 60 फिसदी पानी उपलब्ध है। वाघुर पर निर्भर जलगाव, जामनेर समेत करीब 3 लाख शहरी एवं ग्रमिण आबादि की पेयजल आपुर्ती प्रभावित होने की नौबत आ चुकी है। वहीं क्षेत्र के लघुसिंचाई विभाग के दायरे में आते 15 मध्यम प्रकल्पो में औसतन 25 प्रतिशत जलभंडार मौजुद है। खेती की दुबार बुआई के संकट से उबरे सिमान्त किसानो में बारीश के अभाव के कारण मुरझा रही फसलो को सिंचने हेतु पानी की कमी से जुझना पड रहा है। कुल खेती की65 फिसद जमीन सिमान्त किसानी तहत जोती गई है। टपक सिंचाई का 30 प्रतिशत खेती क्षेत्र की फसले भी कुदरती बारीश के अभाव से पुर्ण क्षमता से विकसित नहीं हो पा रही है। तहसिल में बने छोटे-बडे कुल 40 बांध लगभग सुखे पडे है। दस्तक के बाद अब तक पहाडी इलाको में दुबका मान्सून तहसिल के मैदानी इलाको तक पहुंच ही नही पाया है। कपास की बंपर बुआई से उम्मीद लगाए बैठे किसानो में उक्त स्थिती से गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है।
कर्जमाफी को लेकर नाराजगी-
सुबे की फडनवीस सरकार द्वारा घोषित कर्ज माफी को लेकर किसानो में भ्रम का माहौल दिखाई पड रहा है। वहीं इस फैसले की मार्केटीन्ग और विरोध में जुटे राजनीतीक दलो कीवास्तविकता से किनारा करते रवय्ये से भी किसानो में नाराजगी साफ झलक रही है।