जामनेर (नरेंद्र इंगले):किसानो द्वारा उपजाऊ जमिनो की गुणवत्ता बनाए रखने के प्रयासो के बीच जहा सदीयो से की जा रहि पारंपारीक खेती व्यवसाय को बेहतर उत्पाद और प्रकृतिक स्वास्थ के लिए सेंद्रीय बनाने पर जोर दिया जाने लगा है . वहि कृषि से जुडी अधिकतम लागत मुल्य जैसी और अन्य तमाम समस्याओ से परेशान किसान अब आधुनीक संसाधनो का इस्तेमाल करने पर विशेष ध्यान दे रहे है . इन मे समय समय पर कृषि विश्वविद्यालयो का शोध प्रबंधन कारगर साबीत हुआ है . बैंगलोर , पुना इन आईटी हब वाले केंद्रो मे आए दिन तकनिक से जुडे किए जा रहे प्रयोग भी किसानो को काफी मददगार साबीत हो रहे है . इसी कडी मे एक नए शोध का आविश्कार किया है जामनेर के 35 वर्ष के अतुल चौधरी ने .
पेशे से कंपुटर इंजिनीयर इस युवक ने ड्रोन को हि किडनाशक फव्वारा यंत्र मे तब्दील किया है जो मका , गन्ना , केला , फल बागवानी जैसी उँची फसलो को स्प्रिंकलर के जरीये किडनिरोधी सिंचाइ करने मे मुफीद है . अतुल के मुताबीक इस ड्रोन के उपयोग से किसानो के मजदुरी पर खर्च होने वाला पैसा और समय दोनो मे बचत होगी साथ हि केमिकल्स के संक्रमण से इंसानो को होने वाली बिमारीयो से निजाद मिलेगी . फसलो को किडनिरोधी तत्वो का पर्याप्त लाभ होगा . जमिनी सतह से करीब 100 फीट उँचायी तक ड्रोन बैटरी पर उडान भर सकेगा एक उडान मे 3 एकड तक कृषि भुमी कि सिंचायी होगी . ड्रोन मे 10 से 15 लिटर रसायन कि भंडारण क्षमता होगी . इसे रिमोट के जरीये संचालित किया जाएगा इसका वजन साधारण 20 कीलो तक है . ड्रोन के पेटन्ट संबधी पुछे गए सवाल पर अतुल ने बताया की फीलहाल उनका लक्ष्य किसानो के लिए ड्रोन की उपयुक्तता है और ड्रोन का प्रैक्टिकल प्रयोग सफल हो चुका है . किसान इसे किराए पर भी इस्तेमाल कर सकते है . ड्रोन निर्माण मे उन्हे अथर्व गोखले , पार्थ अकूल ने सहयोग किया . विदीत हो कि अतुल सुबे के जलसंपदा मंत्री श्री गिरीश महाजन के दामाद है और उनकी प्रतिभा का आंकलन इसी रुतबे के लिहाज से करना यह उनके अंदर छीपे संशोधक कि उपेक्षा करने जैसा हि होगा . इस लिए अपने पेशे से स्वयम के व्यक्तीत्व को नया आयाम देने वाले इस युवा सायंटीस्ट की यह खोज किसानो के लिए भविष्य मे माइल स्टोन साबीत हो सकती है .