जामनेर (तेज़ समाचार प्रतिनिधि ): सरकार के डीजिटल भारत , न्यु इंडीया जैसे कपोलकल्पीत और वास्तविकता से विपरीत जुमलो की जमीनी हकीकत से रुबरु हो रहे उन ग्रामीनो को जिन्हे इन स्लोगन्स का मतलब भी पता नहि उन्हे इसी न्यु इंडीया के डीजिटल भारत मे बीते 10 दिनो से सर्वर डाउन जैसी समस्या से इस कदर जुझना पड रहा है की जिसका मुकम्मल उपाय स्थानीय प्रशासन की जद से बाहर है . मान्सून के मुहाने जहा बगैर 7/12 ( मिल्कीयती उतारा ) के वाजीब दर के ऋण के लिए सहकारी सोसायटीयो कि चौखट पर कर्ज के लिए चक्कर कांट रहे किसानो की बेबसी यहि से शुरु होती है , औनलाइन 7/12 मुहैय्या कराती साइड बीते 10 दिनो से बंद है जिसका आज 11 वा दिन है . पारदर्शीता के चलते पटवारीयो को हस्तलिखीत 7/12 बाँटने पर सरकार ने मनाहि जारी की है . अब सिस्टम के तकनीकी व्यावधानो के कारण 7/12 के अभाव से खेती के लिए अपनी जमीने तैय्यार कराने रुपयो के खातीर किसानो को मजबुरन अवैध ब्याजखोरो का सहारा लेना पड रहा है . बीते पखवाडे इस समस्या को लेकर न्यूज एजन्सी ने सटीक रिपोर्टिंग की बावजूद हालात जस के तस है .
7/12 के अभाव से प्लाटिंग के खरीद बिक्रि व्यवहार बुरी तरह प्रभावीत हुये है जिससे स्वाभावीकत: राजस्व पर बुरा असर पडा है . बोंडइल्ली से बर्बाद हो चुके कपास उत्पादक कीसानो को ऐवज मे मिलने वाली सहायता राशी कि मामुली रकम की प्रतिक्षा भी इतनी की 7/12 के अभाव से लंबीत ऋण कि बनी उम्मीद से बढकर हो . इस मामले पर लगभग सभी जनप्रतिनीधी और संगठन कमाल की चुप्पी साधे है . पटवारी दफ्तरो मे 7/12 को लेकर लोगो की कर्मीयो से होती कहासुनी आम बात हो गयी है . सिस्टम के आगे आम आदमी और खुद सिस्टम कितना असहाय है इस की झलक ऐसे वक्त साफ दिखायी पड रहि है .
डीजिटल इंडीया के सभी कंसेप्टस की हालत सर्वर डाउन से पतली है , राजस्व के इस सर्वर डाउन के 11 वे दिन भी जनता मे बना संयम तथा संतूलन भले हि गौरव का हकदार हो , लेकीन यहि हालात अगर कुछ और दिनो तक बने रहे तो शायद आवाम का संयमरुपी ज्वालामुखी उफ़ान पर आ जाए तो वह भी कोई नयी बात नहि रहेगी