जामनेर (तेज़ समाचार प्रतिनिधि):साल 2017 के अंत मे संक्रामक बिमारीयो की जद मे आकर अस्पतालो मे आर्थिक और मानसिक मार झेल चूके नगर के लगभग 70 फीसद नागरीको ने उस वाकये से सबक सिखकर निगम प्रशासन को बीना कोसे अपनी धैर्यशीलता का ऐसा परीचय दिया है की लोग सरकारी नलको का पानी पिने के बजाय अब एक रुपया लिटर से निजी फिल्टर प्लैंट से पानी खरीद कर अपनी प्यास बुझा रहे है . शायद हि ऐसे शांतीपरस्त सिटीजन कहि और देखे जा सकते हो , वहि आश्चर्य की बात है की इसी बीच शहर मे निजी फिल्टर प्लैंट का धंधा किसी रणनीती के तहत फलाफूला . इन प्लैंट के मुआयने पर ग्राहको से पता चला की पारीवारीक यूनीटस ( सदस्यसंख्या ) के मुताबीक प्रती व्यक्ती पानी की आवश्यकता के हिसाब से पीने के लिए फिल्टर वाटर प्रती लिटर 1 रुपये के हिसाब से प्रती जार 20 रुपए मे खरीदा जाता है , शहर मे करीब 5 – 6 प्लैंट है जिनसे हर रोज होम डीलीवरी तथा स्पौट बिक्रि मे अंदाजन 1 लाख 40 हजार लिटर पानी बेचा जाता होगा .
प्लास्टिक पाउच मे बिकता प्रती एक रुपया 250 एम एल पानी कि बिक्रि का अलग विषय है , यहि नहि सीटी के अलावा नेरी, पहुर , फत्तेपुर , शेंदुर्नी जैसे सेमी नागरी शहरो मे भी जनता फिल्टर पानी को तरजिह दे रहि है . प्रशासन की ओर से जलाशयो पर बनायी गयी जलापूर्ति योजनाओ के फिल्टर प्लांट्स कि बदहालीया इस कदर है की जिनकि दास्तान बयां करने भर से नागरीक सिरह उठते है वजह साफ है की इन योजनाओ के इर्द गिर्द भ्रष्टाचार का बुना वह मजबुत तानाबुना है जिसको छूने से वह आम आदमी के जिवन को असुरक्षित तक करने की क्षमता रखता है . जामनेर कि बात करे तो नगर मे निजी प्लांट्स से हर रोज बिकते देढ लाख रुपयो के पानी को खरीदने को विवश आवाम कि मानसिकता को उनकी पारीवारीक दायित्वता या नाकाम प्रशासन की मुखालफत मे उठाया गया वंगभंग आंदोलन जैसा कदम इन मे भला कौन से पैमाने मे नापना चाहिये ? सुत्रो के मुताबीक निगम का फिल्टर प्लैंट बंद है ,यहि हालात क्षेत्र के अन्य जलापुर्ती योजनाओ कि है .
शहर मे विकास के लिये सुरंगी ड्रानेज सिस्टम के कार्यान्वयन हेतु उखाडी गयी सडको के जमीनी अंतरंग से गंदे पानी के रीसाव के संपर्क मे आयी पाइपलाइनो कि मरम्मत और नयी वितरण व्यवस्था से मिल रहे शैवालयुक्त पानी का प्रकोप अब भी जारी है .