पुणे (तेज समाचार डेस्क). निवेशकों के साथ धोकाधड़ी के मामले में जेल की हवा खा रहे पुणे के प्रख्यात निर्माण व्यवसायी डीएसके की आंच बैंक ऑफ महाराष्ट्र पर भी पड़ गयी है. अपने पद का दुरुपयोग करते हुए तथा नियमों के परे जा कर डी.एस. कुलकर्णी को लोन देने के आरोप में बैंक के सीएमडी रवींद्र मराठे सहित 6 आला अधिकारियों को वित्तीय अपराध अन्वेषण पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. बुधवार को उन्हें जिला सत्र कोर्ट में पेश किया गया. जहां से कोर्ट ने सभी को 27 जून तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है.
– ये आला अधिकारी पहुंच जेल
इन आला अधिकारियों में सीएमडी रवींद्र मराठे सहित राजेंद्रकुमार वेदप्रकाश गुप्ता, एस.एम. घाटपांडे, राजीव नेवासकर, नित्यानंद देशपांडे व पूर्व सीएमडी सुशील मुहनोत शामिल हैं. जितेंद्र नारायण मुलेकर (६५ वर्ष, कोथरुड ) ने इसकी शिकायत की थी.
– नियमों को तांक पर रख दिया गया कर्ज
सूत्रों के अनुसार डी़. एस़. कुलकर्णी के डीएसकेएल कंपनी ने सोलापुर रोड पर प्रस्तावित ड्रीम सिटी गृह प्रकल्प के लिए जमीन खरीदी करने की शुरुआत साल २००७ से शुरू कर दी थी. बैंक के अधिकारियों ने डीएसकेडीएल कंपनी से साठगांठ कर अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर कंपनी को भारी-भरकम कर्ज मंजूर कर लिया. इस आरोप में वित्तीय अपराध पुलिस ने उन्हें बुधवार को गिरफ्तार किया. इसके साथ ही पुलिस ने डी़ एस़ कुलकणी व उनकी पत्नी हेमंती कुलकर्णी के विरोध में लगभग 37 पन्नों की चार्जसीट न्यायालय में दायर की.
– सरकारी वकील की दलील
सरकारी वकील ने कोर्ट में दलील दी कि इस गड़बड़ी में बैंक के और भी कर्मी शामिल हो सकते हैं. अलग-अलग पार्टनरशिप फर्म स्थापित कर व अस्तित्व में होनेवाले दो कुल आठ फर्म के तहत १०८3 करेाड़ जमा किया गया. इन सब में घाटपांडे की भूमिका क्या है़? एन.सी.डी. (नॉन कन्वटेबल डिबेंचर) के पैसों का विनियोग उचित व उसके उद्देश्य के लिए न होने पर भी घाटपांडे ने किसके कहने पर झूठा दाखिला तैयार कर उसे सच बताया. इसकी विस्तृत जांच की मांग सरकारी वकील ने की. बैंक ऑफ महाराष्ट्र, स्टेट बैंक आफ इंडिया, विजया बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक, आई.डी.बी.आई. बैंकों सहित अन्य बैंकों द्वारा दिए गए कर्ज के नाम पर पैसों के विनियोग दाखले सही नहीं बल्कि झूठे हैं. उसे घाटपांडे ने तैयार किया है. उसमें मराठे, गुप्ता, देशपांडे, मुहनोत की भूमिका क्या थी, इन सबकी जांच की मांग लेकर सरकारी वकील ने जज से इनके लिए पुलिस कस्टडी की मांग की. जिसे मान्य करते हुए जज ने आरोपियों को २७ जून तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया.