अहमदाबाद. 2002 के नरोदा गाम दंगों से जुड़े मामले में अमित शाह सोमवार को गवाही के लिए गुजरात के स्पेशल कोर्ट पहुंचे. केस की मुख्य आरोपी और पूर्व मंत्री माया कोडनानी की अपील पर कोर्ट ने शाह को समन जारी किया था. शाह बचाव पक्ष की तरफ से गवाही देने पहुंचे थे. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, बीजेपी प्रेसिडेंट ने कोर्ट को बताया कि कोडनानी नरोदा गाम में मौजूद नहीं थीं. सुबह 8.30 बजे असेंबली में थीं. मैं 9.30 से 9.45 बजे तक सिविल हॉस्पिटल में था, जहां मेरी मुलाकात कोडनानी से हुई. हॉस्पिटल से निकलते वक्त लोगों से घिर गया था. करीब 11.15 बजे पुलिस ने मुझे और कोडनानी को अपनी जीप से सरकारी गाड़ियों तक छोड़ा.
– यह है पूरा मामला
यह मामला 2002 के गुजरात दंगों से जुड़ा है. तब गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस का कारसेवकों से भरा एक कोच जलाए जाने के बाद पूरे प्रदेश में दंगे भड़के थे. कई मौतें हुईं. दंगों के नौ मुख्य मामलों की जांच सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने की थी. तीन हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी कोर्ट से नरोदा गाम केस की सुनवाई चार महीने में पूरा करने का ऑर्डर दिया था.
– अमित शाह ने कोर्ट में दिया बयान
अमित शाह ने जज पीबी देसाई के सामने दर्ज कराए अपने बयान में कहा कि सोला सिविल हॉस्पिटल मेरी असेंबली में आता है. मैं वहां 9:30 से 9:45 के बीच पहुंचा. पुलिस मायाबेन को हॉस्पिटल से एस्कार्ट कर ले जा रही थी. तब मैंने कोडनानी को 11:15 से 11:30 बजे के बीच पहली बार हॉस्पिटल में देखा था. एस्कार्ट करके लेने जाने की वजह थी कि हॉस्पिटल के बाहर प्रदर्शन हो रहे थे. हॉस्पिटल को लोगों ने चारों तरफ से घेर रखा था. पुलिस ने मुझे और कोडनानी को उनके (मायाबेन) व्हीकल्स तक एस्कार्ट किया था, जो कुछ दूरी पर थे. मुझे गोटा रक्रास रोड पर छोड़ दिया. उस वक्त तक वे पुलिस की जीप में थीं. फिर मैं अपने घर चला गया और इसके बाद मुझे नहीं पता कि वे (कोडनानी) कहां गईं.
– नरोदागाम में हुए दंगे की प्रमुख आरोपी है कोडनानी
माया कोडनानी उस वक्त की गुजरात सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री थीं. नरोदा गाम में हुई 11 लोगों की मौत के मामले वे मुख्य आरोपी हैं. 2009 में उन्हें अरेस्ट किया गया था. माया पेशे से डॉक्टर हैं. उनके पिता आरएसएस से जुड़े थे. 1995 में माया ने अहमदाबाद शहरी निकाय का चुनाव लड़कर पॉलिटिक्स में एंट्री ली थी. 1998 में पहली बार विधायक बनी थीं. कोडनानी का दावा था कि 28 फरवरी, 2002 को वह अमित शाह के साथ मौजूद थीं. इसलिए उन्हें बुलाकर कोर्ट इस बात को वेरिफाई कर सकता है. दंगे के दौरान नरोदा गाम में नहीं थी, बल्कि असेंबली और सिविल हॉस्पिटल गई थीं. कोडनानी के दावे को लेकर गवाही के लिए कोर्ट ने अमित शाह को समन जारी किया. शाह का नाम बचाव पक्ष की ओर से दिए गए 14 गवाहों में शामिल है. अब तक शाह 13 की गवाही हो चुकी है. जबकि एक को गवाह के तौर नहीं बुलाया गया.