शिरपुर (तेज समाचार प्रतिनिधि): शिरपुर तहसील के दुर्बुल्या गांव के युवक जगदीश राजाराम पावरा (23) ने 20 दिन पूर्व बावटापाड़ा में आत्महत्या कर ली थी. जगदीश की आत्महत्या के बाद उसके बच्चे की परवरिश को लेकर दो गुटों में विवाद हो गया था. इस विवाद को निपटाने पहुंच पुलिस पर पुलिस रवैये से नाराज ग्रामीणों ने हमला बोल दिया और पुलिसवालों की जम कर पिटाई कर दी. इस मामले में पुलिस ने करीब 90 ग्रामीणों पर मामला दर्ज किया है. साथ ही पुलिस ने करीब 13 लाेगों को गिरफ्तार भी किया है.
पुलिस के अनुसार जगदीश पावरा की आत्महत्या के बाद जगदीश के बच्चे की परवरिश के मुद्दे पर बाटवापाड़ा के लोग दुर्बुल्या आये थे. इस समय दोनों गांवों के लोगों के बीच विवाद शुरू हो गया, जो जल्द ही मारपीट में तब्दिल हो गया. जैसे ही पुलिस को इस घटना की सूचना मिली, पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गई. यहां पर पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन दुर्बुल्या के ग्रामीणों ने बाटवापाड़ा के लोगों का साथ देने का आरोप लगाते हुए लकड़ी, डंडों और पत्थरों से पुलिस पर ही हमला बोल दिया. इन लोगों ने पुलिस अधिकारी, पुलिस कर्मियों सहित महिला पुलिस की भी जम कर पिटाई कर दी. इस हमले में सभी पुलिस वाले घायल हो गए. घटना के बाद पुलिस सब इन्स्पेक्टर योगेश जगन्नाथ ढिकले की शिकायत पर दुर्बुल्या के करीब 90 ग्रामीणों पर शिरपुर पुलिस थाने में धारा 307, 353, 332, 147, 148, 149, 323, 324, 504, 506 के साथ प्रॉपर्टी डैमेज एक्ट की धारा 3 व 5 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इन पर दर्ज हुआ मामला
राजेश छगन पावरा, परशुराम दूरसिंह पावरा, आण्णा जगन पावरा, मंगलसिंह बरकत पावरा, लक्ष्मण अंगारसिंह पावरा, भरत कालुराम पावरा, सचिन मोहन पावरा, विमल काशिराम पावरा, रमेश प्रदीप पावरा, शशिकांत ताराचंद पावरा, देविदास संतोष पावरा, भिमराव जुखा पावरा, दिनकर तिवारी पावरा, अंगारसिंह जुखा पावरा, राकेश बाबुलाल पावरा, बादल बाबुलाल पावरा, विकास काशिराम पावरा, रामलाल डेचर्या पावरा, कालराम धनजी पावरा, मुनिराज जुखा पावरा, भायला हरसिंह पावरा, संतोष गुरखा पावरा, छगन माला पावरा, जगन माला पावरा, छगन आतर्या पावरा, किस्तर रामदास पावरा, वाहर्या धनजी पावरा, काशीराम शिवाजी पावरा, प्रदीप शिवाजी पावरा, लकड्या रायसिंह पावरा, सखाराम लकड्या पावरा, जगन आतर्या पावरा, ताराचंद रामा पावरा, रायचंद रामा पावरा, प्रेमसिंह वेरसिंह पावरा, मुन्ना गुलाब पावरा, दिनेश संतोष पावरा, राजाराम शिवाजी पावरा, शिवलाल गोरखा पावरा, देविदास भरत पावरा, सियाराम पावरा, ढेमा रायसिंह पावरा, अनिल सखाराम पावरा, अजय गोंडल पावरा, अनिल परशुराम पावरा, कुशल संतोष पावरा, सरप्या धनजी पावरा, रोहित ऊर्फ रोहित्या भीमसिंह पावरा, नाना भिला पावरा, सोमनाथ पावरा, भूषण राजाराम पावरा, राजेश तुकाराम पावरा, भायसिबाई सभाराम पावरा, ऊषाबाई कालूराम पावरा, राहाबाई प्रेमसिंह पावरा, सोमनाबाई अंगारसिंह पावरा, मीराबाई प्रदीप पावरा, सोनाबाई कालुराम पावरा, मीनाबाई सियाराम पावरा, लालीबाई तुकाराम पावरा, तानुबाई फुलसिंह पावरा, रेखलीबाई सियाराम पावरा, रिना गोंडल पावरा, उमाबाई मोतिराम पावरा, प्रमिलाबाई कावसिंह पावरा, कुरमटीबाई राजाराम पावरा, सोमा पावरा, सुनिता अंगारसिंह पावरा सभी निवासी दुर्बूल्या तह. शिरपूर और सचिन श्रावण पावरा, बेड्या गोपाल पावरा दोनोंही निवासी वकवाड तह. शिरपुर साथ ही अन्य 15-20 महिला एवं पुरुष शामिल है.
क्यों पैदा हुई पुलिस पर हमले की स्थिति?
उल्लेखनीय है कि 20 दिन पहले दुर्बुल्या के युवक जगदीश राजाराम पावरा ने बाटवापाड़ा में आत्महत्या करने की घटना घटी थी. बीच युवक के घरवालों ने आत्महत्या पर संदेह जताते हुए युवक के ससुरालवालों पर हत्या का इल्जाम लगाया था. लेकिन पीएम रिपोर्ट मे आत्महत्या की पुष्टि होने से मामले की जांच रुक गई थी. इसको लेकर पुलिसवालों पर मृत युवक के परिजनों का क्रोध था.
पुलिसवालों पर हमला निंदनीय
देश में अमन, शांति और सुव्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभानेवाली पुलिस पर हुआ हमला घृणास्पद और निंदनीय है. इस प्रकार के हमले का कतई समर्थन नहीं किया जा सकता. हमले को लेकर सोशल मीडिया पर काफी आलोचना भी हुई. लेकिन हमला करनेवाले लोगों को कानून का ज्ञान नहीं है. अगर पीएम रिपोर्ट की सही जानकारी हमलावरों को होती, तो शायद यह हमले की घटना न घटती. हमारा लडका मर गया जिसकी जांच नहीं और ऊपर से बाटवापाडा के लोगों को बचाने पुलिस आई. इस प्रकार की गलत फहमी से हमला होने की चर्चा नागरिकों में है.