पुणे (तेज समाचार प्रतिनिधि). पुणे के बहुचर्चित कंप्यूटर इंजीनियर नयना पुजारी सामूहिक बलात्कार और हत्या के मुकदमें में विशेष सत्र न्यायालय ने मंगलवार 9 मई को तीनों दोषियों को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई है. इन अपराधियों को कल सोमवार 8 मई को सत्र न्यायालय ने दोषी करार दिया था.
इस मामले की पैरवी करते हुए सरकारी वकील हर्षद निंबालकर ने न्यायालय को बताया कि यह मामला रेयर ऑफ द रेयरेस्ट की श्रेणी में आता है और दिल्ली के निर्भया बलात्कार-हत्याकांड की तरह ही है. निर्भया मामले में सभी आरोपियों को सजा-ए-मौत दी गई है. अत: इन आरोपियों को भी फांसी की ही सजा दी जाए. सबूतों, दलीलों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए न्यायाधीश ने तीनों दोषियों योगेश अशोक राऊत (32,गोलेगांव, खेड), महेश बालासाहेब ठाकुर (31, सोलू, खेड), विश्वास हिंदूराव कदम (34, दिघीगांव, मूल निवासी, भुरकवडी, सातारा) को मरते दम तक फांसी की सजा सुनाकर अपनी कलम की निब तोड़ दी.
– योगेश ने कहा मैं निर्दोष हूं
यह फैसला मंगलवार सुबह ११ बजे फैसला सुनाया जाना था, किंतु पुलिस आरोपियों को लेकर निर्धारित समय से करीब डेढ़ घंटा देरी से अदालत पहुंची. फैसला सुनाने के पहले न्यायाधीश ने मुख्य आरोपी योगेश से पूछा कि तुम्हे अपनी सजा के संबंध में कुछ कहना है. इस पर मुख्य अपराधी योगेश राउत ने कहा कि वह निर्दोष है और उसे इस मामले में फंसाया गया है. जिस दिन यह वारदात हुई है, उस दिन वह गाड़ी उसके पास थी ही नहीं, जिससे यह वारदात की गई. योगेश ने यह मांग भी कि उसकी एक छोटी बेटी है, पत्नी व मां है. सबकी जिम्मेदारी उसी पर है, सजा सुनाते समय इसका ख्याल रखा जाए.
इसके बाद न्यायाधीश ने दूसरे अपराधी महेश ठाकुर से पूछा, तो वह मौन बना रहा. तीसरे दोषी विश्वास कदम से पूछने पर उसने वादा माफ बने गवाह राजेश चौधरी को भी सजा देने की मांग अदालत से की, क्योंकि वह भी इस अपराध में बराबर का शरीक था.
– हत्याकांड का संपूर्ण घटनाक्रम
कम्प्यूटर अभियंता नयना अभिजीत पुजारी (28) खराड़ी के सेनीक्रॉन नामक सॉफ्टवेयर कंपनी में कम्प्यूटर इंजीनियर के रूप में काम कर रही थी. 7 अक्टूबर 2009 की रात करीब 8 बजे नयना अपने घर कात्रज जाने के लिए खराडी के रिलायन्स मार्ट के पास लक्ष्मी हॉस्पिटल के बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रही थी. इस समय आरोपी योगेश राउत अपनी कैब इंडिका कार (एम.एच. 14, बी.ए. 2952) से वहां आया और नयना पुजारी को यात्री के रूप में कैब में बिठा लिया.
कैब में बैठने के बाद योगेश नयना को धमकी देते हुए उस खेड के जंगल में निर्जन स्थान पर ले गया, जहां उसके तीन अन्य दोस्त महेश ठाकुर, विश्वास हिंदुराव कदम और रमेश पांडुरंग चौधरी उसका इंतजार कर रहे थे. चारों ने मिल कर पहले तो नयना के साथ सामूहिक बलात्कार किया. इसके बाद चारों ने नयना पुजारी के पर्स से उसका एटीएम कार्ड निकाला और चाकू से धमका कर उसका पिन कोड़ ले लिया. इसके बाद योगेश राऊत और महेश ठाकुर राजेश चौधरी की बाइक (एम.एच. 14, बी.पी. 2375) से विमान नगर के आईसीआईसीआई बैंक के एटीएम गए और वहां से 16 हजार रुपये निकाले. इसके बाद चारों नयना को लेकर मरकल रोड़ पर तुलापुर ले गए. वहां भी चारों ने नयना के साथ बलात्कार किया. इसके बाद खेड तहसील के जरेवाडी ले जा कर चारों ने नयना की चुनरी से उसका गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी. इसके बाद सबूत मिटाने के लिए नयना पुजारी के चेहरे को पत्थर से कुचल दिया गया. हत्यारों ने नयना के हाथ से सोने की चूड़ियां, घड़ी, मोबाइल ले लिया. इसके बाद चारों पुणे पहुंचे और यहां कल्याणी नगर और खराडी के एटीएम से नयना पुजारी के कार्ड से 45 हजार रुपये निकाले.
दरम्यान नयना पुजारी के लापता होने की शिकायत उसके पति अभिजीत ने येरवडा पुलिस थाने में दर्ज कराई. दूसरे दिन सुबह 6 बजे जरेवाड़ी फाटा पर नयना की लाश मिली थी. खेड के सहायक पुलिस निरीक्षक चिकट को घटनास्थल पर अनेक सबूत मिले, जो इस मामले की सुनवाई के दौरान मददगार साबित हुए.
अपराध शाखा पुलिस ने 16 अक्टूबर को आरोपी योगेश, राजेश, महेश को और 8 दिसंबर 2009 को विश्वास को गिरफ्तार कर लिया. न्यायालयीन हिरासत के दौरान 17 सितंबर 2011 को योगेश राऊत ससून अस्पताल से पुलिस केा झांसा दे कर फरार हो गया था. फरार योगेश राउत को पकड़ने के लिए तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सतीश गोवेकर की नियुक्ति की गई. गोवेकर ने राऊत को पहचाननेवाले पुलिस कर्मचारी देवीदास भंडारे, संतोष जगताप, प्रदीप सुर्वे की टीम तैयार की. इस टीम ने योगेश के भाई मनोज, मां सुनीता और पत्नी श्रावणी योगेश राऊत पर नजर रखना शुरू किया. परिवार के लोगों का व्यवहार संदेहास्पद था. दरम्यान योगेश राउत अपनी पहचान छिपा कर दिल्ली में रह रहा था और अपने परिवार के संपर्क में था. तभी पुलिस को योगेश के शिर्डी आने की जानकारी मिली. तब पुलिस ने जाल बिछा कर योगेश को 31 मई 2013 को शिर्डी से गिरफ्तार कर लिया.
मामले की सुनवाई के दौरान राजेश चौधरी माफी का गवाह बना गया. सरकार की तरह से यह मुकदमा विशेष सरकारी वकील हर्षद निंबालकर ने लड़ा, तो बचाव पक्ष की ओर से एड. बी.ए. आलुर, एड. रणजीत ढोमसे-पाटील और एड. अंकुश जाधव लड़ रहे थे. एड. निबालकर ने कुल 37 गवाहों के बयान लिए.
विशेष न्यायाधिश एल. एल. येनकर ने अपहरण (धारा 366), सामूहिक बलात्कार (धारा 376 – ग), हत्या (कलम 302), मृतक का सामान चुराना (धारा 404), षडयंत्र (धारा 120 – ब), चोरी (धारा 397) के तहत दोषी करार देते हुए मरते दम तक फांसी की सजा सुनाई.
– उच्च न्यायालय में करेंगे अपील
नयना पुजारी बलात्कार-हत्याकांड मामले के दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने पर दोषियों के वकीलों ने असंतोष व्यक्त करते हुए उच्च न्यायालय में अपील करने की जानकारी पत्रकारों को दी. वकीलों ने माफी का गवाह बने राजेश को निर्दोष बरी किए जाने पर भी आपत्ति जताई है.