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नरेंद्र मोदी के संकट मोचक प्रमोद महाजन

Tez Samachar by Tez Samachar
May 3, 2017
in विविधा
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( जोधपुर में टाटा मोटर्स के पूर्व प्रबंधक श्री सुधांशु टाक जी के फेसबुक वाल से साभार   ) भाजपा के दिग्गज नेता रहे प्रमोद व्यंकटेश महाजन की आज 11वीं पुण्यतिथि है । आज ही के दिन 3 मई 2006 को उनका निधन हो गया था । भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के राजनितिक जीवन में प्रमोद महाजन की महत्वपूर्ण भूमिका से कोई इनकार नही कर सकता ।

अटल बिहारी वाजपेयी की जब एनडीए सरकार सत्ता में थी तब महाजन उसके संकटमोचक थे। एनडीए के सहयोगी दलों से लेकर कांग्रेस के नेताओं तक को खुश रखने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। वाजपेयी जी अक्सर कहते थे कि प्रमोद और पेप्सी अपना फार्मूला किसी को नहीं बताते हैं। बड़े से बड़े संकट में भी फंस जाने पर उन्होंने पार्टी व खुद को बहुत सफलता के साथ उबारा। उनके बारे में में कहा जाता है कि उनकी जुबान पर सरस्वती, मस्तिष्क में चाणक्य व शरीर में कामदेव वास करता था। जहां सरस्वती के चलते वे हर व्यक्ति को अपनी बातचीत से मोहित कर लेते थे वहीं उनकी दलीलें ऐसी होती थी कि चाहकर भी उनको काट पाना असंभव हो जाता था।

यह सत्य भी अभी तक छिपा हुआ है कि जब अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेंद्र मोदी को हटाने का मन बनाया था तो वे आडवाणी की दलील को भी सुनने को तैयार नहीं थे मगर प्रमोद महाजन को उन्होने सुना और प्रमोद महाजन ने ही उनकी कुरसी बचाई थी। वाजपेयी के स्पष्ट संदेश के बावजूद अपने मैजिक से ही महाजन ने मोदी की जान बचा ली थी। यह बात मोदी जी आज भी मानते हैं । हालांकि मोदी को बचाने की यह पहल महाजन ने उन्हीं आडवाणी के कहने पर की थी जो आज नरेंद्र मोदी की राजनीतिक लोकप्रियता के चलते अपनी चमक खो चुके हैं ।

तो बात यूँ थी की सन् 2002 में हुए गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से इस्तीफा लेने का मन बना लिया था। वे चाहते थे कि गुजरात दंगों के बाद गोवा में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नरेंद्र मोदी अपना इस्तीफा दें। लेकिन उस वक्त यही लालकृष्ण आडवाणी चट्टान की तरह मोदी के पक्ष में खड़े हो गए। एक और व्यक्ति जिसका योगदान था वे संघ और भाजपा के बीच समन्वयक की जिम्मेदारी निभाने वाले संघ के तत्कालीन सहसरकार्यवाहक मदन दास देवी थे। आडवाणी जी उस समय वाजपेयी जी और मदन दास जी को मनाने में सफल नहीं रह पा रहे थे । तब आडवाणी जी ने प्रमोद महाजन से संपर्क साधकर सहयोग मांगा था।

जिस समय आडवाणी ने प्रमोद महाजन से संपर्क किया उस समय प्रमोद महाजन मुंबई में थे और उस समय गोवा में आयोजित होने जा रही कार्यकारिणी की बैठक में पारित होने वाले राजनीतिक प्रस्ताव के ड्राफ्ट को अंतिम रुप देने में व्यस्त थे। प्रमोद महाजन ने आडवाणी से कहा कि आप मोदी को गोवा पहुंचते ही मुझसे मिलने के लिए कहें। महाजन से बात होने के बाद आडवाणी ने अपने करीबी अरुण जेटली को तुरंत अहमदाबाद जाने और वहां से मोदी के साथ गोवा पहुंचकर प्रमोद महाजन से संपर्क करने के लिए कहा।

जेटली के साथ गोवा पहुंचें मोदी सीधे प्रमोद महाजन के पास गए। मोदी ने हाथ जोड़कर महाजन से पूछा मेरा क्या भविष्य है? प्रमोद महाजन ने हंसते हुए मोदी से कहा था कि आप तो अनारकली बन गए हैं। अ आपको जीने नहीं देगा और स आपको मरने नहीं देगा। आप निश्चिंत रहें आप यहां से मुख्यमंत्री के रुप में ही वापस गुजरात जाएंगे।

यहां पर प्रमोद महाजन का अ से आशय अकबर से नहीं अटल बिहारी वाजपेयी से था, और स से आशय सलीम से नहीं संघ से था। उस समय भाजपा में संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी संजय जोशी निभा रहे थे, जो मोदी के धुर विरोधी थे। संजय जोशी ने भी अटल पर मोदी के जाने का दबाव बनाया हुआ था। उस वक्त महाजन संघ और भाजपा के बीच समन्वयक की जिम्मेदारी निभा रहे मदन दास देवी से लगातार संपर्क में बने हुए थे। मदन दास देवी भी उस समय उहापोह की स्थिति में थे । संजय जोशी की उनसे निकटता थी अतः देवी भी कन्विंस नही थे । तब महाजन पिक्चर में आये और सारा खेल बदल दिया । देवी जी को महाजन यह समझाने में सफल रहे कि फिलहाल गुजरात में जो स्थिति है उस स्थिति में मुख्यमंत्री बदलना ना ही पार्टी के हित में होगा और ना ही संघ के हित में। गुजरात में लगातार मुख्यमंत्री बदले जाने से उत्पन्न हो रही परेशानियों और वाघेला के विद्रोह का भी महाजन ने जिक्र किया। मदन दास देवी को महाजन यह समझाने में सफल रहे कि मोदी का जाना पार्टी के हित में जाने से कहीं ज्यादा संघ के खिलाफ चला जाएगा। महाजन ने मदन दास देवी से कहा कि मोदी संघ के प्रचारक रहे हैं और उन्हें गुजरात पार्टी को मजबूत करने के साथ-साथ संघ का एजेंडा लागू करने भेजा गया है। अगर ऐसी स्थिति में मोदी को हटाया जाता है तो संघ के हितों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।

महाजन से सहमत होने के बाद मदनदास देवी ने संजय जोशी से संपर्क कर कहा कि मोदी किसी भी सूरत में बने रहेंगे। संघ का यह संदेश अटल को दे दीजिए। गोवा पहुंचे अटल को संघ का संदेश दे दिया गया। संघ के मोदी के पक्ष में खड़े होने के बाद आडवाणी और महाजन द्वारा लगातार मोदी के पक्ष में माहौल बनाने से गोवा अधिवेशन समाप्त होने तक आखिर में वाजपेयी भी मोदी को बनाए रखने के लिए सहमत हो गए थे। जाहिर है महाजन के मैजिक से ही मोदी मुख्यमंत्री के रुप में वापस गांधीनगर लौट सके। महाजन के इसी कौशल के कारन मोदी उस समय गुमनामी में जाने से बच सके थे और आज प्रधानमन्त्री के रूप में हमारे बीच मौजूद है ।

प्रमोद महाजन जी की पुनीत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलो । ओ३म् शांतिः शांतिः !!!!!!!!!

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Tags: Narendra modipramod mahajan
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