जामनेर (नरेंद्र इंगले):शहर मे करोडो रुपयो की लागत से चलायी जा रहि विभिन्न परीयोजनाओ का परीचालन प्रशासन पर इतना हावी हो गया है की इन योजनाओ के गुणवत्ता से जुडे तकनिकी मानको पर भी सोच विचार करना प्रशासन के लिए जरुरी बात नहि रहि है . फीर चाहे वह 70 करोड की लागत वाली सुरंगी नालियो की योजना हो या बीते तीन सालो से धक्के खाकर गंतव्य तक पहुचती 8 करोड की लागत वाली फोरलेन परीयोजना हो .
लोकनिर्माण विभाग के जानकारो के मुताबीक मान्सून के मुहाने 31 मई के बाद सडको का डामरकाम इस लिए नहि किया जाना चाहिए ताकी बारीश के पानी मे सडको पर बिछाया डामर बह न जाए और मुख्य सडक की सतह खड्डो से क्षतीग्रस्त न हो जाए वहि टैक्स पेयर्स जनता का पैसा भी जाया न जाए लेकिन इन सभी सकारात्मक बिंदुओ के विपरीत नगर की बहुचर्चित फोरलेन परीयोजना का सिलकोट लेयर डामरकाम दिनदहाडे कीया जा रहा है . जहा प्रशासन का कोई अधिकारी मौजुद नहि है .
मामले को लेकर तकनिकी जानकारी हेतु लोकनिर्माण के ज्यूनीयर अभियंता से संपर्क करने के सभी प्रयास विफल रहे शायद सरकारी छुट्टि का अवरोध उनके सेलफ़ोन को भी लागु हुआ होगा . बहरहाल सडको संबंधी इस तरह नियमो को ताक पर रखकर प्रशासन को चढने वाले विकास के बुखार का हर्जाना तो आखिर टैक्स पेयर्स आम जनता को हि भुगतना है . विकास के नाम पर गुणवत्ता से किया जा रहा मनमाना समझौता लोगो मे आलोचना का विषय बना है . मामले का संग्यान लेकर जांच की माँग उठने लगी है .