वॉशिंगटन. शनिवार की रात को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यूनाइटेड नेशंस जनरल एसेम्बली (UNGA) में अपने संबोधन में पाकिस्तान को जम कर लताड़ते हुए कहा कि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल-मुजाहिदीन जैसे आंतकवादी संगठनों को बनाया, जबकि भारत ने वैज्ञानिक बनाए, डॉक्टर बनाए, आईआईटी इंजीनियर बनाए. सुषमा ने अपनी 22 मिनट की स्पीच में 10 मिनट आतंकवाद पर बात की. छह मिनट तक पाकिस्तान को जमकर लताड़ा. कहा- जब पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम शाहिद खाकान अब्बासी यहां हम पर इल्जाम लगा रहे थे तो लोग कह रहे थे कि लुक हू इज टॉकिंग…. सुषमा ने कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया. लेकिन पाकिस्तान बताए कि किसने दोस्ती की कहानी बदरंग की? भारत-पाक एकसाथ आजाद हुए थे. भारत की पहचान आज दुनिया में आईटी सुपरपावर के रूप में बनी. लेकिन पाक की पहचान दहशतगर्द मुल्क की बनी है. भारत ने आईआईटी, आईआईएम बनाए. लेकिन आपने क्या बनाया? पाकिस्तान वालों ने लश्कर-ए-तैयबा बनाया, जैश-ए-मोहम्मद बनाया, हिज्बुल-मुजाहिदीन बनाया.’
– पाकिस्तान को खरी-खरी
सुषमा ने कहा कि पर्सो जब पाक के वजीर-ए-आजम बोल रहे थे, तब लोग कह रहे थे- लुक हू इज टॉकिंग. सुषमा स्वराज ने कहा, ”हम तो गरीबी से लड़ रहे हैं. लेकिन हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है. परसों इसी मंच से बोलते हुए पाक के वजीर-ए-आजम ने भारत पर तरह-तरह के इल्जाम लगाए. हमें स्टेट स्पॉन्र्स्ड टैररिज्म फैलाने का आरोप लगाया. जब वे बोल रहे थे तो लोग कह रहे थे कि लुक हू इज टॉकिंग. जो आतंक फैलाता है, वो हमें पाठ पढ़ा रहा था.” सुषमा स्वराज ने कहा, ”मैं याद दिलाना चाहती हूं कि जिन्ना ने दोस्ती की विरासत दी या नहीं दी, ये तो इतिहास जानता है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोस्ती का हाथ जरूर बढ़ाया. लेकिन कहानी बदरंग किसने की, ये आप बताएं. क्या पाक को याद नहीं कि शिमला समझौते के तहत दोनों देशों ने तय किया था हम किसी तीसरे का दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे. पाकिस्तान के सियासतदानों को याद तो सबकुछ है लेकिन वे उसे भूल जाने का नाटक करते हैं.”
विदेश मंत्री ने कहा, ”9 दिसंबर 2015 को हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में जब मैं इस्लामाबाद गई तो नए सिरे से कॉम्प्रिहेंसिव बायलैटरल डायलॉग शुरू करने की बात हुई थी. बायलैटरल शब्द जानबूझकर डाला गया था. लेकिन वो सिलसिला आगे क्यों नहीं बढ़ा, इसके जवाबदेह आप हैं अब्बासी साहब मैं नहीं.” सुषमा ने कहा, ”भारत-पाक एकसाथ आजाद हुए थे. लेकिन अब्बासी साहब !, क्या आपने सोचा कि भारत की पहचान आज दुनिया में आईटी सुपरपावर के रूप में बनी. लेकिन पाक की पहचान दहशतगर्द मुल्क की बनी है. इसकी एक ही वजह है कि भारत ने पाक की आतंकवाद की चुनौतियों का सामना करते हुए भी अंदरूनी विकास की गति नहीं रोकी.”
– हमने IIT, IIM बनाए और आपने आतंकवादी
सुषमा ने कहा, ”भारत ने आईआईटी, आईआईएम बनाए. हमने एम्स जैसे अस्पताल बनाए. हमने स्पेस में इंटरनेशनल संस्थान बनाए. लेकिन पाकिस्तान वालोंआपने क्या बनाया? आपने लश्कर-ए-तैयबा बनाया, जैश-ए-मोहम्मद बनाया, आपने हक्कानी नेटवर्क बनाया. हिज्बुल-मुजाहिदीन बनाया. आतंकी ठिकाने और टेररिस्ट कैम्प बनाए. हमने स्कॉलर्स, साइंटिस्ट, इंजीनियर्स पैदा किए. पाकिस्तान वालो! आपने क्या पैदा किया? आपने दहशतगर्द और आतंकवादी पैदा किए. डॉक्टर्स मरते हुए लोगों की जिंदगी बचाते हैं और जिहादी जिंदा लोगों को मार डालते हैं. लेकिन आपके जिहादी संगठन सिर्फ भारत के लोगों को नहीं मारे. वे हमारे पड़ोसी अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लोगों को भी मार रहे हैं. पहली बार ऐसा हुआ है कि यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली में किसी ने तीन-तीन देशों को सफाई देने के लिए राइट टू रिप्लाई मांगा हो.”
– अपने विकास का विचार करें पाकिस्तान
सुषमा ने कहा, ”मैं कहना चाहूंगी कि पाकिस्तान वालों जो पैसा आतंकियों की मदद के लिए खर्च कर रहे हो, उसे अवाम और मुल्क की तरक्की के लिए करो तो दुनिया का आतंकवाद से पीछा छूट जाएगा और आपके मुल्क का विकास हो सकेगा.” सुषमा स्वराज ने कहा, ”आज विश्व जिन समस्याओं का समाधान ढूंढ रहा है, उनमें अहम आतंकवाद है. पहले विश्व के देश इसे कानून व्यवस्था का मामला कहकर टाल देते थे. आज सब चर्चा कर रहे हैं. इस विषय पर हमें आत्मावलोकन करने की जरूरत है. हम जब भी ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी करते हैं तो आतंकवाद से लड़ने की कसम खाते हैं. लेकिन, ये निभाने वाली रसम बन गई है. संकल्प निभाने का वक्त आता है तो कुछ देश अपने फायदे को आगे रखते हैं.”
– आतंकवाद पर नजरिया बदलना होगा
”1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित CCIT पर आज तक यूएन सहमत नहीं हो पाया. आतंकवाद की परिभाषा पर एकराय नहीं बन पाई. मेरे और तेरे आतंकवादी की दृष्टि अलग हो जाएगी तो मिलकर कैसे लड़ेंगे? किसी टेररिस्ट की लिस्टिंग पर मतभेद होगा, तो हम कैसे लड़ेंगे? अलग-अलग नजरिए से आतंकवाद को देखना बंद करें. एक नजरिया करें और ये स्वीकार करें कि आतंकवाद सबके लिए खतरा हैं. अगर हम लड़ने का संकल्प करें तो उसे मानें और अमली जामा पहनाएं. CCIT को पारित करे दें.”
सुषमा ने कहा, ‘टिकाऊ विकास के लक्ष्य को केंद्र में रखते हुए कई योजनाएं बनाई हैं. गरीबी दूर करना हमारा पहला लक्ष्य है. इसके दो रास्ते हैं. पहला- हम उनका सहारा बनें. दूसरा- हम उन्हें ही इतना सशक्त कर दें कि वे अपना सहारा आप बन जाएं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरा रास्ता चुना है. इसलिए वे गरीबों का सशक्तीकरण करने में जुटे हैं. हमारी सारी योजना इस पर केंद्रित है. जनधन, उज्ज्वला, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप और स्टैंड अप इंडिया.’
– हमने जनधन से देश को जोड़ा
सुषमा ने कहा, ‘जनधन के तहत हमने सबसे बड़ा आर्थिक समावेश किया. 30 करोड़ लोगों को बैकिंग सिस्टम में लाए. उनके बैंक खाते खुलवाए. जिनके पास पैसा नहीं था, उनका जीरो बैलेंस से खाता खुलवाया. असंभव को भारत ने संभव किया. 30 करोड़ लोग…! ये छोटा आंकड़ा नहीं है. अमेरिका की समूची आबादी है. कुछ लोग अभी बचे हैं. हमारा लक्ष्य सौ प्रतिशत को इससे जोड़ना है. विदेश मंत्री ने कहा, ‘दूसरी योजना के अंतर्गत 70 फीसदी से ज्यादा कर्ज केवल महिलाओं को दिया गया. तीसरी योजना है उज्ज्वला योजना. गरीब महिलाओं के लिए रोज-रोज खाना पकाने के लिए ईंधन जुटाना होता है. हम गरीब महिलाओं को मुफ्त सिलेंडर दे रहे हैं. नोटबंदी जैसे साहसिक फैसले ने करप्शन पर प्रहार किया. जीएसटी ने एक राष्ट्र, एक टैक्स योजना को साकार किया. बेटी-बचाओ जैसे योजनाएं लाएं. समर्थ देश तो अपने बलबूते पर लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे, लेकिन हमें मदद करनी होगी.’