पुणे (तेज समाचार प्रतिनिधि). इसे कुदरत का करीश्मा कहा जाए या फिर चमत्कार. एक साल पहले अपहरण की गई एक बच्ची दो महिने बाद ही ससून अस्पताल पहुंच गई. यहां से उसे श्रीवत्स संस्था में रखा गया. इसके बाद इस लावारिस बच्ची को गोद देने की प्रक्रिया के समय ही बच्ची के असली माता-पिता के बारे में पता चल जाता है और पूरे एक वर्ष बाद बच्ची अपने असली माता-पिता की गोद में पहुंच जाती है.
वाकया कुछ ऐसा है कि तनिष्का नामक चार साल की एक मासूम बच्ची 29 मार्च 2016 को अपनी दादी के साथ कोल्हापुर जाने के लिए पुणे रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते बैठी थी. ट्रेन के इंतजार में तनिष्का की दादी की आंख लग गई और इसी का फायदा उठाते हुए किसी ने तनिष्का का पुणे रेलवे स्टेशन से अपहरण कर लिया. दादी की जब आंख खुली तो उसने पूरे रेलवे स्टेशन पर रोते हुए तनिष्का को खोजा, लेकिन वह नहीं मिली. तब उसने रेलवे पुलिस थाने में तनिष्का के खोने की शिकायत दर्ज कराई. दो महिने के बाद अचानक ही तनिष्का ससून अस्पताल के वार्ड क्रमांक 3 में पहुंच गई. इस समय उसके पास एक प्लास्टिक की बैग और दूध की खाली बोतल थी. अस्पतालवालों ने जब उससे पूछा, तो वह सिर्फ अपना नाम ही बता सकी. जब तनिष्का के बारे में कुछ भी पता नहीं चला, तब ससून के कर्मचारियों ने उसे सोसायटी ऑफ फ्रेंड्स ऑफ द ससून हॉस्पिटल (एसओएफएसएच) द्वारा संचालित श्रीवत्स चाइल्ड केयर सेंटर को सौंप दिया.
इसी बीच विभिन्न समाचार पत्रों में तनिष्का के बारे में जानकारी प्रकाशित की गई. लेकिन इस विज्ञापन को कहीं से कोई प्रतिसाद नहीं मिला. दूसरी ओर तनिष्का के खो जाने के बाद सिंतबर 2016 से पुलिस विभिन्न सामाजिक संस्था, अनाथालयों में तनिष्का को खोज रही थी. यह जांच रेलवे पुलिस उपनिरीक्षक एन.बी. मुंतोडे कर रहे थे. आखिर एक साल बाद एक जून 2017 को एसओएफएसएच ने तनिष्का को दत्तक देने की प्रक्रिया शुरू की. एक जरूरतमंद दंपति ने तनिष्का को गोद लेने की इच्छा जताते हुए आवेदन किया. इस परिवार की पूर्ण रूप से जांच के बाद संस्था ने इस दंपति को तनिष्का को गोद देने का निर्णय लिया.
अब तनिष्का को नए माता-पिता मिलनेवाले थे. ये नए माता-पिता 27 जुलाई को उसे लेने के लिए आनेवाले थे. इसके एक दिन पूर्व ही यानी 26 जुलाई को रेलवे पुलिस चाइल्ड केयर सेंटर पहुंच गई. पुलिस ने जब तनिष्का का फोटो दिखाया, तब पुलिस को बताया गया कि यह बच्ची श्रीवत्स में है. तनिष्का के असली माता-पिता के बारे में पता चलते हुए उसे दत्तक देने की प्रक्रिया रोक दी गई.
तुंरत ही कोल्हापुर में तनिष्का के माता-पिता को पुणे बुलाया गया और तनिष्का की पहचान कराई गई. तनिष्का के पिता सचिन कांबले और मां प्रियंका मजदूरी करते है. तनिष्का की इस समय गर्भवति है और इसके अलावा उसे एक 6 साल की बच्ची भी है. तनिष्का को देखते ही उसके माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. पूरे एक वर्ष बाद उनकी बच्ची सही सलामत उन्हें मिली थी. तनिष्का की मेडिकल जांच की गई, जिसमें वह पूर्ण रूप से स्वस्थ्य पायी गई.
दरम्यान तनिष्का को गोद लेनेवाली दंपति को जब इस बात की जानकारी मिली, तो उन्हें काफी निराशा हुई. क्योंकि जब से उन्होंने तनिष्का को देखा था, तब से उन्हें उससे लगाव हो गया था. लेकिन उन्हें इस बात की भी प्रसन्नता है कि तनिष्का को उसके असली माता-पिता मिल गए. इस दंपति ने तनिष्का के लिए खरीदे कपड़े, खिलौने आदि उसे ही भेंट दे दिए और उसके अच्छे भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी.
तनिष्का का जिस दिन अपहरण हुआ था, उस दिन की रेलवे स्टेशन पर लगे सीसीटीवी फुटेज में अपहरणकर्ता की तस्वीर कैद हो गई है. इस आधार पर पुलिस उसकी तलाश कर रही हैं. दरम्यान अपहरण के बाद दो महिनों तक तनिष्का के साथ क्या हुआ, इसका पता अपहरणकर्ता के गिरफ्तार होने के बाद ही पता चलेगा.