पुणे (तेज समाचार प्रतिनिधि). ‘सड़कों और हाइवे में बढ़ रहे हादसों के पीछे शराब का नशा जिम्मेदार है’ का दावा करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने हाइवे से पांच सौ मीटर तक के दायरे में शराब बिक्री पर पाबंदी लगाने के आदेश सुनाया है. यह पाबंदी बार, रेस्टारेंट, पब, वाईन शॉप सभी के लिए लागू है, जिसे सर्वोच्च न्यायलय द्वारा स्पष्ट रूप से लिखित कर आदेश दिया गया है. इस आदेश का का पालन एक अप्रैल से किया जाना था. जिसे लागू करते हुए राज्य उत्पादन शुल्क विभाग (एक्साइज) विभाग ने शनिवार से हाइवे से पांच सौ मीटर के दायरे में शराब बिक्री करनेवाले होटल, बार, पब, वाइन शॉप, रेस्टारेंट आदि को सील करना शुरू कर दिया है. इस कार्रवाई से होटल, रेस्टॉरेंट व वाइन शॉपचालकों की नींद उड़ गई है.
एक्साइज विभाग द्वारा शनिवार को की गई कार्रवाई पर हाइवे के किनारे के कई दुकानों को बंद कर दिया गया. हालाकिं इस कार्रवाई का कोई ब्योरा तो नहीं मिल सका, लेकिन पुणे जिले में 1600 लाइसेंस धारी शराब बिक्रेता होटल, पब, बार, रेस्टॉरेंट और वाइन शॉप पर एक्साइज विभाग की गाज गिरनी तय है. इस बारे में एक्साइज विभाग के पुणे विभाग के उपअधीक्षक सुनील फुलपगार ने बताया कि, पुणे विभाग के तहत शराब बिक्री के जारी किए गए 2600 में से 1600 लाइसेंस हाइवे से पांच सौ मीटर के दायरे में आने की जानकारी मिली है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार ऐसे होटलों व दूकानों को सील करने की कार्रवाई शुरू की गई है.चूंकि कार्रवाई के आदेश सर्वोच्च न्यायालय के हैं अत: कोई विरोध भी जता पा रहा है.
बढ़ते सड़क हादसों के लिए ड्राइवरों का शराब के नशे में ड्राइविंग करना काफी हद तक जिम्मेदार हैं. इस बारे में दायर की गई याचिका की सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर में हाइवे से पांच सौ मीटर के दायरे में शराब बिक्री पर पाबंदी लगाई है. 15 दिसंबर 2016 को दिए गए इस आदेश में एक अप्रैल 2017 से ऐसे शराब बिक्री के लाइसेंस का नवीनीकरण न करने के हिदायत दी गई है. इसके अमल की जिम्मेदारी एक्साइज विभाग को सौंपी गई है. 20 हजार से कम आबादी वाले इलाकों को इस पाबंदी से छूट देते हुए उनके लिए हाइवे से 220 मीटर का दायरा निश्चित किया गया है. ज्ञात हो कि यह छूट मेघालय, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए लागू है. 15 दिसंबर 2016 याने यह पाबंदी का आदेश जारी होनेवाले दिन से पहले मंजूर हुए लाइसेंस को सितंबर 2017 तक वैध माना जाएगा, यह भी अदालत ने स्पष्ट किया है.