जामनेर (तेज समाचार प्रतिनिधि). मई की चिलचिलाती धूप में जहां पारा 46 डिग्री पहुंच गया है और इंसानी जनजीवन चरमरा गया हो, ऐसे में मूक पशु-पक्षियों की क्या बिसात. इन मूक पशु-पक्षियों को इस भीषण गर्मी में पीने के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए पर्यावरण प्रेमियों ने पेड़ों से पानी के गुल्लक टांगे है, जिससे पक्षी अपनी प्यास बुझा सके.
बीते तीन सालों से वर्षा की कमी से अकाल जैसी स्थिति में पेयजल की पैदा होती समस्या से गांव के गांव त्रस्त हो, वहां भला पशु – पक्षियों की सुद लेने के लिये मानसिक रूप से कौन सजग हो सकता है. ऐसी अनाकलनीय परीस्थिति में भी क्षेत्र के आरक्षित सरकारी जंगलों में संवेदनशील मानवीय भूमिकावाली पहल के दुर्लभ दर्शन हुये है. सोनारी बीट में जहां भवानी घाटी से सटे राजमार्ग पर सैकड़ों हेक्टेयर जंगलों के बीच पर्यावरण प्रेमीयो ने पंछीयो के लिये पेडो पर पानी के गुल्लक लटकाये है. मिट्टी के इन गुल्लकों में पर्याप्त पानी उपलब्ध हो, इसलिए सलाईन की बोतलों के जरिए अनूठा टपक प्रबंधन किया गया है. इन गुल्लकों का मुआयना करने पर दिखायी पड़ा कि विभिन्न प्रजातियों के पंछियों समेत मधुमख्खियों जैसे छोटे जीवों को भी काफी राहत मिली है. जलवायु परिवर्तन से वैशाख की बढ़ती तपिश के चलते सरकार और विभिन्न संस्थाओं द्वारा माध्यमों के मार्फत पशु – पक्षियों के अस्तित्व के लिए गुल्लक तथा अन्य उपायों के आए दिन किये जाते आव्हानों और सुझावों का समाज में सकारात्मक असर दिखायी पड रहा है. बस आवश्यकता है कि ऐसे प्रयासों का दायरा बढे.
इस पहल के विषय में वनविभाग की बीट प्रमुख श्रीमती वैशाली कुलकर्णी ने पर्यावरण प्रेमियों द्वारा मुहैया करायी गयी गुल्लकों के उपक्रम का स्वागत किया और अधिक जानकारी देते हुए बताया कि बौद्धपूर्णिमा के अवसर पर वनविभाग द्वारा की जानेवाली पशुगणना के चलते जंगल में प्राकृतिक तालाबों के साथ बनाये गए अन्य कृत्रिम संसाधनों में पशुओं के लिए पेयजल के मुफीद इंतजाम किए गए है.