जामनेर (नरेंद्र इंगले):नगरपरिषद के आम चुनावो के मुहाने निर्वाचन आयोग द्वारा संचालित चुनावी कामकाज पर पक्षपाती संदेह से पिडीत गठबंधन के नेताओ ने विभिन्न पहलुओ पर आपत्ती जताते हुए न्यायपालिका से गुहार लगाने के प्रयासो को रफ्तार प्रदान कर दी है . वार्ड रचना पर संभागिय आयुक्त की अंतीम मुहर लगने के बाद चुनाव से जुडा लगभग सभी प्रशासनीक कामकाज खत्म हो गया है अब इंतजार है बस चुनाव के आधिकारीक तारीख के ऐलान का . दौरान वार्ड रचना को लेकर उभरी जनशिकायतो का निपटारा राजस्व प्रशासन ने कर दिया है . इन सभी जमीनी वास्तवीकताओ से परीचीत गठबंधन के स्थानीय नेतागण अन्याय भावना से पिडीत होकर न्याय के लिए हाइकोर्ट के दरवाजे खटखटाने मे लग चुके है . राजनीतीक जानकारो और कानूनी विचारको मे इस परीस्थिती को लोकतंत्र की अजीब महीमा के साथ साथ उस विडंबना के रुप मे देखा जा रहा है जिसे आम तौर पर कई बार दोहराया जाता रहा है .
खुद की सुविधा के लिए इजाद करवाए गए राजनीतीक प्रासंगिकताओ की संभावना के अवैकल्पीक स्थिती को जनआंदोलन की शक्ल देकर नयी धारणाओ को जन्म देने की कोशिशे करना यह पैंतरा क्षेत्र की राजनीती मे जनता ने बखुबी परख लिया है और कई चुनावो मे इन पैंतरो को समयानुकुल समर्थन बहाल कर लोगो ने रजामंदी भी दी है . बावजुद इस के विपक्ष अपनी सिद्धांतीक निंव मजबुत रखने मे विफल साबीत होता रहा है . उक्त तरीको से अस्तीत्व की लडायी लढ रहे विरोधीयो के प्रती शहरी मतदाता कौनसी भुमीका अपनाते है यह तो चुनाव के नतीजे बताऐगे . बहरहाल चुनाव को लेकर न्यायपालिका के समक्ष प्रस्तुत मामलो मे कार्यपालिका पर उठे सवालो के समाधान मे की जाने वाली संवैधानीक व्याख्याओ को लेकर जनता मे उत्सूकता बरकरार है .

