नई दिल्ली – बंगाल के बीरभूम जनपद के कांगलापहार गांव में ‘कानून व्यवस्था बिगड जाएगी’, इस कारण प्रशासन ने हिन्दुओं को दुर्गापूजा उत्सव मनाने के लिए अनुमति नहीं दी है । इस गांव में हिन्दुओं के ३०० तथा मुसलमानों के केवल २५ घर होते हुए भी बहुसंख्यक हिन्दुओं को दुर्गापूजा जैसे धार्मिक उत्सव मनाने के लिए गत चार वर्षों से अनुमति नहीं दी जा रही है । इस घटना का अर्थ है, संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना ! धार्मिक स्वतंत्रता का यह संविधानप्रदत्त अधिकार ममता बैनर्जी के शासनकाल में पैरोंतले रौंदा जा रहा है । इसलिए इस मामले में केंद्र सरकार तुरन्त हस्तक्षेप कर हिन्दुओं को न्याय दे तथा लगातार चार वर्षों से हिन्दुओं को दुर्गापूजा करने से वंचित रखनेवालों के विरोध में ठोस एवं कठोर कार्यवाही करें, ये मांगें करते हुए ‘हिन्दू दुर्गापूजा नहीं, तो क्या ‘दरगाह’पूजा करें ?’ ऐसा रोष रविवार, ९ अक्टुबर को दोपहर ११ से १ बजे तक जंतर मंतर पर किए गए राष्ट्रीय हिन्दू आन्दोलन में हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा व्यक्त किया गया । इस आंदोलन में भारत नेपाल हिन्दू एकता परिषद्, भारतीय युवा शक्ति,वैदिक उपासना पीठ ,सनातन संस्था तथा हिन्दू जनजागृति समिति अदि संघठन तथा इंडियन पब्लिक स्कूल,सुलतानपुर (जिला हिसार ) के बच्चे भी उपस्थित थे।
सहस्रों करोड रुपयों की आर्थिक हानि करनेवाले प्रदूषकारी पटाखों पर तत्काल प्रतिबंध लगाएं ! भारत देश आर्थिक संकट में है, करोडों की संख्या में जनता को एक समय का अन्न नहीं मिलता, ऐसे में पटाखों पर प्रतिवर्ष सहस्रों करोड रुपयों का अपव्यय करना, देशहित के विरोध में है । वर्तमान स्थिति में मा. प्रधानमंत्री द्वारा ‘स्वच्छ भारत अभियान’ चलाया जा रहा है । पटाखों के कचरे कारण यह अभियान गति नहीं पकड पा रहा है । साथ ही, भारत में फैल रहे ‘चायनीज’ वस्तुओं के व्यापार में गत कुछ वर्षों से ‘चायनीज’ पटाखे भी बडी मात्रा में आए हैं । इस वर्ष देहली शासन द्वारा चीन से आए पटाखे नागरिकों के स्वास्थ्य हेतु हानिकारक हैं तथा ये पटाखे सर्वाधिक मात्रा में प्रदूषणकारी हैं । इसलिए इन पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है । दिल्ली शासन का यह निर्णय प्रशंसनीय है । इस निर्णय को पूरे देश में लागू किया जाए, यह मांग भी इस आंदोलन में की गई ।
महिलाओं पर लैंगिक अत्याचार करनेवाले तथा बलात्कारियों में भय उत्पन्न करने के लिए संविधान में कठोरतम दंड की व्यवस्था की जाए ! देहली की न्याय-व्यवस्था पूर्णतः ध्वस्त हो गई है । यहां प्रतिदिन महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार की घटनाएं, सामान्यसी लगने लगी हैं । इन अत्याचारों को रोकने में और महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने में देहली शासन पूर्णत: विफल सिद्ध हो रहा है । ‘निर्भया हत्याकांड’ के पश्चात केंद्र शासन ने महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए विशेष विधान बनाए, देहली में महिलाओं के प्रहरी दल गठित किए, उन्हें आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की और तत्काल सहायता पहुंचाने के लिए विशेष दूरभाष क्रमांक उपलब्ध कराएं । फिर भी, ये घटनाएं प्रतिदिन बढती जा रही हैं । महिलाओं पर लैंगिक अत्याचार करनेवाले तथा बलात्कारियों में भय उत्पन्न करने के लिए संविधान में कठोरतम दंड की व्यवस्था की जाए, यह मांग भी इस आंदोलन में की गई ।