नई दिल्ली ( तेजसमाचार प्रतिनिधि ) – देश को आगे बढ़ाने वालों में दशमेश गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज एक बड़ा कारण रहे हैं , इसलिए बच्चा- बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता है , उनके जैसा बनना चाहता है। यही कारण है भारत की पहचान विश्व में बताने वाले विवेकानंद जी ने कहा है भारत के गौरव को पाने के लिए गुरु जी जैसा बनना होगा। जिसकी शुरुआत अपने से करनी होगी , तभी आदर्श समाज प्रस्तुत किया जा सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने यह बात श्री गुरु गोबिंद जी महाराज के 350 वें प्रकाश वर्ष के निमित्त आयोजित विशेष समागम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कही। राष्ट्रीय सिख संगत द्वारा नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में विशेष समागम का आयोजन किया गया था ।
उन्होंने कहा आदर्श देश बनाने के लिए स्वयं से शुरुआत करनी होगी , चाहे वो किसी भी धर्म , सम्प्रदाय , जाति का हो। गुरु गोबिंद जी का उदाहरण देते हुए डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा गुरु जी हमारे लिए प्रेरणा के स्त्रोत है और रहेंगे। वह ऐसे व्यक्तित्व रहे है जिसने देश के लिए अपना सब कुछ दान कर दिया चाहे अपना राजपाठ हो , चाहे अपने खुद के सभी पुत्र हों और चाहे खुद ही क्यों नहीं हो। उन्होंने कभी अपने विरोधियों के लिए भी अपशब्द का उपयोग नहीं किया। युद्ध के दौरान भी वह किसी प्रकार का भेद नहीं करते थे। गुरु जी ने ऐसे लोगों को खड़ा किया जो देश पर मर मिटने के लिए सदैव तत्पर रहते आए है। उनके दिए आदर्श किसी जाति , पंथ , सम्प्रदाय तक सीमित नहीं है सभी के लिए है। हमें उनके चरित्र का अध्ययन करना होगा और उसका अधिक से अधिक प्रकाश अपने जीवन में उतारना होगा। यही हमारी उनके प्रति सच्ची कृतज्ञता होगी। हमें सिर्फ 350 वें प्रकश वर्ष तक ही नहीं रुकना होगा इससे भी आगे निरंतर चलते रहना होगा।
राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष जी. एस. गिल ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा विदेशी आक्रान्ताओं के आगे गुरु गोबिंद सिंह जी कभी झुके नहीं। उन्होंने देश की अस्मिता के लिए मरना सिखाया। देश पर आए संकट को अपने ऊपर लेकर समाज को एक नई दिशा दिखाई जिस पर देश का हर नागरिक आज भी चलने की कोशिश करता आ रहा है।
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा भारत की संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है। कई झटकों को झेलने के बाद भी भारत हमारी संस्कृति बरक़रार है। गुरु गोबिंद जी ने जिस पंथ की स्थापना की वह आज भी देश की रक्षा कर रहा है। इसमें सबसे बड़ा योगदान गुरु जी का ही रहा है। भारत की संस्कृति की रक्षा करने वाले महापुरुषों में गुरु गोविंद सिंह सबसे अग्रणी रहे । कार्यक्रम के दौरान नामधारी समाज से ठाकुर दिलीप सिंह जी एवं अन्य गणमान्य भी उपस्थित रहे।(साभार-इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र)