नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). एक के मुकाबले पूरा विपक्ष. आजकल पूरे भारत में कहीं भी चुनाव हो, यहीं तस्वीर देखने को मिल रही है. भाजपा ने भी इस बात को स्वीकार किया है और अब गठबंधनों से निपटने की तैयारी में जुट गई है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी ये स्वीकार किया कि उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा का गठबंधन 2019 में पार्टी के लिए चुनौती बनेगा. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि हम कांग्रेस को अमेठी या रायबरेली दोनों में से किसी एक जगह जरूर हराएंगे. शाह शुक्रवार को मोदी सरकार के 4 साल पूरे होने के पर हुए एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात कर रहे थे.
बता दें कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण में 13 दलों के नेता शामिल हुए थे. इनमें कांग्रेस के अलावा मायावती और अखिलेश भी एक मंच पर नजर आए.
– NDA छोड़ना शिवसेना का व्यक्तिगत मामला
2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना के साथ छोड़ने के सवाल पर शाह ने कहा, कि 2019 में महाराष्ट्र में भाजपा शिवसेना के साथ मिलकर लड़ेगी. हम उन्हें एनडीए से बाहर करना नहीं चाहते हैं, लेकिन वे अगर जाना चाहते हैं तो ये उनकी इच्छा होगी. हम हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं.
– हारी हुई सीटों को जीतने की तैयारी
भाजपा अध्यक्ष ने कहा, कि विपक्षी पार्टियां एक जैसी सोच वाले दलों के साथ आ रही हैं, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि वे केवल अपने दम पर एनडीए को 2019 में मात नहीं दे पाएगी. ये सब हमारे खिलाफ 2014 में लड़े थे, लेकिन हमें रोक नहीं पाए. उनकी मौजूदगी केवल उनके राज्यों तक ही सीमित है. अगर वे एकसाथ भी आते हैं तो भी हमें हरा नहीं पाएंगे.’
– हारी हुई सीटों में से 80 सीट जीतने का दावा
अमित शाह ने दावा किया कि पिछली बार उत्तर-पूर्व, प. बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और दूसरी अन्य जगहों पर हम जो सीटें नहीं जीत पाए थे, उनमें से भी करीब 80 सीटें 2019 में हम जरूर जीतेंगे.
– कब-कब एक हुआ विपक्ष
1977 : इंदिरा के आपातकाल लगाने के बाद सभी विपक्षी दल एक साथ आए. सोशलिस्ट पार्टियों, भारतीय क्रांतिदल और जनसंघ जैसे करीब एक दर्जन दल एक मंच पर आए.
1989 : कभी राजीव गांधी के खास रहे वीपी सिंह ने कई छत्रपों के सहयोग से जनता दल बनाया. उन्होंने टीडीपी, एजीपी, डीएमके जैसे दलों की मदद से नेशनल फ्रंट बनाया. ये फ्रंट 1989 में सत्ता में आया. वाम दलों ने सरकार को बाहर से सपोर्ट किया.
1996-97 : बीजेपी को रोकने के लिए जनता दल, समाजवादी पार्टी, टीडीपी, लोक दल जैसी क्षेत्रीय पार्टियों ने मिलकर संयुक्त मोर्चा बनाया. एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल इसी मोर्चे से प्रधानमंत्री बने थे.