छतरपुर ( तेजसमाचार संवाददाता ) – विगत दिनों सुनहरे परदे पर आई फिल्म से दशरथ मांझी का नाम सभी के लिए परिचित हो गया, ‘माउंटेन मैन’ के रूप में पहचाने जाने वाले दशरथ मांझी गया-बिहार के निकट गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे. उन्होंने केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट कर एक सड़क बना डाली थी. 22 वर्षों परिश्रम के बाद, दशरथ के बनायी सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लाक की दूरी को 55 किमी से 15 किलोमीटर कर दिया.
दशरथ मांझी की याद दिलाते मध्यप्रदेश के 70 साल के एक बुज़ुर्ग सीताराम राजपूत ने अकेले दम पर कुआ खोदना प्रारंभ कर दिया. मध्यप्रदेश के छतरपुर ज़िले का पास एक छोटा सा गांव हैं हदुआ. इसी हदुआ गांव के रहने वाले हैं सीताराम राजपूत. हदुआ पिछले तीन सालों से पीने के पानी की किल्लत से जूझ है. सीताराम राजपूत इस किल्लत को दूर करने के लिए अकेले ही कुआं खोदने में लगे हुए हैं. छतरपुर जिले के लवकुशनगर जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत प्रतापपुरा के ग्राम हडुआ निवासी 71 वर्षीय सीताराम राजपूत के परिवार के पास लगभग साठ बीघा जमीन है. यह जमीन उसे उसके ननिहाल से मिली थी. पिता की बचपन में हत्या हो गई. उस समय सीताराम की उम्र महज नौ साल थी. उसे और उसके पांच साल छोटे भाई को लेकर उसकी माँ उत्तरप्रदेश के महोबा जिले के बिलबई गाँव से अपने मायके हडुआ आ गई, जब सीताराम थोड़े बड़े हुए तो उन्होंने न सिर्फ सारे परिवार की जिम्मेदारी संभाली बल्कि परिवार कि खातिर उन्होंने अपनी शादी तक नही की.
सीताराम राजपूत सिर्फ काम से ही नहीं बल्कि अपनी कथन से भी साहसी दिखाई पड़ते हैं. इस बारे में वो कहते हैं कि गांव वालों को हर दिन पानी की समस्या से जूझना पड़ता है. वो कहते हैं कि जब मांझी पहाड़ का घमंड तोड़ सकते हैं तो क्या वो एक कुआं नहीं खोद सकते हैं.
गाँव के लोग उन्हें पागल कहने लगे लेकिन सीताराम अपने कर्म पथ पर अकेले ही निकल पड़े, रोज अकेले जितना हो सकता खुदाई करते और खुद ही मिटटी फेंकते, मन में सिर्फ एक सहारा था खुद पर आत्मविश्वास और ऊपर वाले पर भरोसा. सीताराम राजपूत स्थानीय भाषा की कहावत “बस छोड़िये न हिम्मत, बिसारिये न राम”, इस बात को रटते रहे, गहराई होती गई और लगभग डेढ़ साल के अंतराल के दौरान आखिर लगभग 30 फिट गहराई में पानी निकाला. इस 71 वर्ष के बुजुर्ग ने अपनी हिम्मत और जज्बे से वो कर दिखाया जिसपर आज न सिर्फ उनके घर वालों , गांव के लोगों बल्कि सारे इलाके को उनपर नाज है. सीताराम राजपूत को इस बात का दुख है कि वो पिछले ढाई साल से अकेले ही कुआं खोद रहे हैं. इस काम में ना तो उनका साथ देने के लिए कोई गांव वाला आया है और ना ही कोई सरकारी मदद ही आई है.
MP: 70-yr-old Sitaram Rajput from Hadua village in Chhatarpur, is single handedly digging out a well to help solve water crisis in village, which the region has been facing since last 2 & a half years, says, ‘No one is helping, neither the govt nor people of the village’.pic.twitter.com/u5dadJYrAq
— ANI (@ANI) May 24, 2018
जिस उम्र में लोग बिस्तर पकड़ लेते है, उस वक्त बिना किसी सहायता के सीताराम ने वह काम कर डाला जिस पर अब गाँव वाले नाज़ करते हैं. अब सारा इलाका इस बुजुर्ग को छतरपुर के मांझी नाम से पुकारता है.