जामनेर (नरेंद्र इंगले). आगामी 6 अप्रैल को होने वाले नगर निगम के चुनावों के मतदान के लिये नामांकन दायर करने के लिए महज दो दिन शेष बचे हैं. सत्ताधारी भाजपा को हराने के लिए सभी विरोधी लामबंद हो गए है. समविचारी दलों ने गठबंधन कर भाजपा को सत्ता से दूर करने के लिए कमर कस ली है. लेकिन मंत्री गिरीश महाजन की अगुवायी में साफसुथरी जीत को लेकर भाजपा पूरी तरह से आश्वस्त दिखायी दे रही है. इसलिए लामबंद होने के बावजूद विपक्षी नेता संजय गरुड और सहयोगियो के सामने बागियों की चुनौती बरकरार है. क्योंकि राजनीतिक प्रासंगिकता के अनुसार सरकार और मंत्री विरोधी कथित लहर पर सवार होकर विभिन्न निर्वाचन वार्ड से कवायद करने वाले बंदों की संख्या निश्चित रूप से सेक्युलर विचारधारा का दंभ भरने वाले विपक्षी कुनबे में अधिक है.
वहीं भले ही नामांकन वापसी की प्रक्रिया अभी शेष है, लेकिन पार्टी सुत्रों के मुताबिक कुल 24 सीटों पर काँग्रेस को 12, राष्ट्रवादी को 12 सीटे और अध्यक्ष पद इस तरह का जुगाड़ बिठाया गया है. बीएसपी जैसे केडर बेस पार्टी कि सामाजिक न्याय वाली संकल्पना की पैरवी करते हुये चुनावी दंगल का मैदान सजाने वाले केडरलेस विपक्ष ने लोकनियुक्त नगराध्यक्ष पद के लिये माली समाज की प्रो. श्रीमती अंजली उत्तम पवार को प्रत्याशी बनाया है.
बीते चुनाव के बाद बहुमत के बावजूद अध्यक्ष की दूसरी टर्म के लिये भाजपा की ओबीसी प्रत्याशी को समर्थन देकर गठबंधन द्वारा जनादेश का किया गया अनादर जैसा कुठाराघात अब तक अवाम की स्मृतियों में है. शहर की राजनीति मे सामाजिक न्याय की उपेक्षा के लिये किसी एक दल को जिम्मेदार ठहराने वाला दोहरा मापदंड जनता में स्वीकार्य नहीं हो सकता.
सत्तापक्ष की अगुवाई में किया जा रहा नगर का विकास (कैम्पेन) जहां कई मायनों में भाजपा की गरीमामय विजय का रास्ता बनायेगा, वहीं विपक्ष का सोशल जस्टिस का पैंतरा जो कई बरसों बाद पहली बार आजमाया जाना है, इन दोनों पहलुओं को मतदाता किस तरह तरजीह देते हैं, यह चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे. बहरहाल सभी दलों में कुछ कम अधिक मात्रा में बागी प्रत्याशी जमुरीयत के सशक्तिकरण का बीड़ा उठाये जरुर नजर आयेंगे.