मुंबई ( तेज़ समाचार डेस्क ) – भारतीय नौसेना को मेक इन इण्डिया के तहत एक विशेष तोहफा मिला है. भारतीय नौसेना को पोत निर्माण इकाई मजगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) ने स्कॉर्पीन श्रेणी की छह पनडुब्बियों में से पहली सबमरीन ‘कलवारी’ सौंप दी है. वर्षों के लंबे इंतजार के बाद नौसेना को स्कोर्पियन सीरीज की पहली पनडुब्बी कलवरी आखिर हासिल हो ही गयी है.
भारतीय नौसेना के पनडुब्बी कार्यक्रम में मील का पत्थर है क्योंकि यह पोत भारत समुद्री शक्ति को काफी मजबूत कर सकता है. यह पनडुब्बी दुश्मन की नजरों से बचकर सटीक निशाना लगा सकती है . ‘कलवरी’ डीजल और इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है. इसमें लगे विशेष तकनीक ‘निर्देशित शस्त्र’ दुश्मन पर सटीक हमला करने में सक्षम है. टॉरपीडो के साथ हमलों के अलावा इससे पानी के अंदर भी हमला किया जा सकता है. साथ ही सतह पर पानी के अंदर से दुश्मन पर हमला करने की खासियत भी इसमें है.
नौसेना के बेड़े में शामिल जर्मन क्लास की 4 छोटी जबकि सिंधुघोष क्लास की 9 बड़ी पारंपरिक पनडुब्बियां हैं. लेकिन इनमें से ज्यादातर 25 साल की औसत उम्र को पार कर चुकी हैं. जिसके चलते अब स्कोर्पियन सीरीज की कुल 6 पनडुब्बियां देश में बनाने का प्लान है. कलवरी का नाम टाइगर शार्क पर रखा गया है. कलवरी के बाद दूसरी पनडुब्बी खंदेरी की समुद्र में मूवमेंट जून में शुरू हो गई थी. अगले साल इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा. तीसरी पनडुब्बी वेला को इसी साल पानी में उतारा जाएगा.
पोत निर्माण इकाई मजगांव डॉक लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘पहली स्कॉर्पीन पनडुब्बी कलावारी को भारतीय नौसेना को सौंपने के साथ ही एमडीएल में इतिहास रच दिया गया.’’ इन पनडुब्बियों को फ्रांसीसी नौसेना रक्षा और ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस ने डिजाइन किया है. भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के तहत इनका निर्माण मुंबई में एमडीएल द्वारा किया जा रहा है.