नई दिल्ली ( तेज़ समाचार प्रतिनिधि ): भारतीय रेल के कुशल इंजीनियरों और मेहनतकश मजदूरों ने एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। इस बार रेलवे ने महज 7 घंटे 20 मिनट में नया पुल बनाकर इतिहास रचा है। रेलवे ने इस नए पुल के बनते ही इस पर सफलतापूर्वक ट्रेन भी गुजारी। रिपोर्ट्स के मुताबिक हमारे उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद – मुरादाबाद के बीच बुंदकी के पास करीब 100 साल पुराना रेलवे का पुल जर्जर हो चुका था। हालत खराब के कारण पुल से रेलगाड़ियां बेहद धीमी गति से गुजरती थीं। इससे ट्रेनों के आने-जाने के समय पर फर्क पड़ता था। यात्रियों को देरी का सामना करना पड़ता था। लेकिन यात्रियों की समस्या और पुल की खराब हालत ने रेलवे का ध्यान खींचा और फिर जो हुआ, वह सब के सामने है। बहुत कम समय में रेलवे के बनाए इस पुल से अब 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनें गुजर सकती हैं।
वैसे तो भारतीय रेलवे अक्सर हादसे और ट्रेनों की लेटलतीफी के कारण लोगों के गुस्से का शिकार बनती है। लेकिन, 100 साल पुराने पुल का निर्माण कर रेलवे ने टीमवर्क की अनोखी मिसाल पेश की है। यात्रियों को देरी का सामना करना पड़ता था। लेकिन यात्रियों की समस्या और पुल की खराब हालत ने रेलवे का ध्यान खींचा। इसके बाद जो हुआ, वो अपने आप में चौंकाने वाला था। रेलवे ने 100 साल पुराने पुल का निर्माण मात्र 7 घंटे 20 मिनट में किया। इस काम के लिए 70 मजदूरें लगाए गए। अब इस पुल से 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनें गुजर सकती हैं। नया पुल बनाने का कारनामा रेलवे के सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर पारितोष गौतम और उनकी टीम ने किया।
मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक पारितोष अपनी टीम के साथ 3 जनवरी को सुबह 9.35 बजे साइट पर पहुंचे। 1.24 बजे तक पुल को तोडक़र उसका मलबा हटा लिया गया। 3.05 बजे तक पुल का ढांचा तैयार कर दिया गया। 5.15 बजे तक नया पुल बनकर तैयार हो चुका था। पुल को बनाने में फेब्रीकेटेड मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया। फेब्रीकेटेड मेटेरियल पहले से तैयार किए गए सामान को कहते हैं। इसके तहत पुल का ढांचा पहले से तैयार कर लिया जाता है और फिर उसे सेट कर दिया जाता है। पुल के निर्माण के दौरान लक्सर-मुरादाबाद के बीच रेल सेवाएं बाधित रहीं। कई गाडिय़ों के रूट बदले गए और कई को रद्द किया गया।