श्रीनगर (तेज समाचार डेस्क). पूरी दुनिया जानती है, भारत के जंगलों में ही शेर नहीं रहते, तो यहां के एक-एक देशवासी में शेर का कलेजा है. हमें चुनौती देने की कोशिश कदापी नहीं करना. अंजाम सामने है. अपने आप को टायगर कहनेवाले हिजबुल मुजाहिद्दीन के स्पेशल कमांडर समीर टाइगर ने भारतीय सेना के शेर मेजर रोहित शुक्ला को सामने आने की चुनौती दी और हमारे भारतीय शेर ने भी इस चुनौती को स्वीकार करते हुए भेड़ की खाल में छिपे इस नकली शेर का शिकार कर लिया.
मेजर शुक्ला वो जवान हैं जिन्होंने खुलेआम दुश्मनों की चुनौती स्वीकार की और दक्षिण श्रीनगर के पुलवामा में हिजबुल मुजाहिद्दीन के स्पेशल कमांडर समीर टाइगर को मार गिराया. इस समय मेजर रोहित शुक्ला भी घायल हैं और आर्मी हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा है. हालांकि अब वे खतरे से पूरी तरह से बाहर है और उनकी हालत में सुधार हो रहा है.
सोमवार को समीर टायरग ने जब मेजर शुक्ला को चुनौती दी, तो मेजर शुक्ला ने खुद आंतकवादियों के खिलाफ मोर्चा संभाला और टायगर सहित एक अन्य आतंकवादी को मार गिराया. पुलवामा में आतंकियों के खिलाफ सेना का ऑपरेशन बंद हो चुका है. यह सेना के लिए एक और सफल ऑपरेशन रहा. हालांकि,
– भारतीय सेना के सामने चूहे है आतंकवादी
असम राइफल्स के पूर्व डीजी लेफ्टिनेंट जनरल शौकीन चौहान ने कहा कि यह ऑपरेशन सेना के लिये एक बड़ी उपलब्धि है. मेजर शुक्ला ने पूरे ऑपरेशन को बहादुरी से संभाला, जिसके लिये मैं उन्हें बधाई देता हूं. उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है. ये सभी आतंकवादी, जो खुद को टाइगर कहते हैं, वास्तव में भारतीय सेना के सामने चूहे हैं.
बता दें कि सोमवार को हुई मुठभेड़ में मेजर शुक्ला ने हिजबुल आतंकी समीर टाइगर को ढेर करने में कामयाबी हासिल की थी. कार्रवाई के दौरान भारतीय सेना ने एक अन्य आतंकी आकीब खान को भी सेना ने मार गिराया था.
– बुरहान वानी की जगह बना था कमांडर
टाइगर हिजबुल मुजाहिद्दीन का एक खतरनाक आतंकी कमांडर था, जो कि बुरहान वानी की जगह लेते हुए एक पोस्टर ब्वाय के जरिये उभरा था. टाइगर ने मेजर शुक्ला को जान से मारने की धमकी भी दी थी, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई थी. धमकी मिलने के 24 घंटों के अंदर ही मेजर ने ऑपरेशन शुरू कर ‘टाइगर’ ढेर कर दिया.
– मेजर शुक्ला ने खुद संभाला मोर्चा
इस ऑपरेशन का नेतृत्व खुद मेजर रोहित शुक्ला कर रहे थे. उन्होंने आतंकी टाइगर के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी. गोलियों से जख्मी होने के बावजूद मेजर शुक्ला के नेतृत्व में सेना दोनों आतंकियों को मार गिराने में सफल रही.