पुणे. बैलगाड़ी प्रतियोगिता को इजाजत देते समय राज्य सरकार की ओर से इस बारे में किसी प्रकार की कोई नियमावली जारी नहीं की गई थी. इस कारण मुंबई उच्च न्यायालय ने बैलगाड़ी प्रतियोगिता को दी गई इजाजत पर रोक लगा दी है. इस कारण इस वर्ष भी बैलगाड़ी प्रतियोगिता नहीं होने की आशंका जताई जा रही है.
ज्ञात हो कि जनता की तीव्र मांग के बाद राज्य सरकार ने बैलगाड़ी प्रतियोगिता को अनुमति दे दी थी. इस संदर्भ में राज्य सरकार ने अधिसूचना भी जारी की थी. लेकिन प्रतियोगिता के दौरान पशुओं को चोट न लगे, इस बारे में राज्य सरकार की ओर से किसी प्रकार की कोई नियमावली जारी नहीं की है. इस कारण उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को बैलगाड़ी प्रतियोगिता को लेकर दो सप्ताह में नियमावली जारी करने के आदेश दिए है. तब तक किसी भी प्रकार से किसी को भी बैलगाड़ी प्रतियोगिता की अनुमति नहीं दी जाएगी.
ज्ञात हो कि राज्य सरकार द्वारा बैलगाड़ी प्रतियोगिता को लेकर जारी अधिसूचना के खिलाफ अजय मराठे द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका में बताया गया है कि बैलगाड़ी प्रतियोगिता एक क्रूर खेल है. इस प्रतियोगिता के दौरान अक्सर बैल घायल हो जाते है. याचिका में कहा गया है कि बैलों का इस्तेमाल मेहनत के कामों के लिए ही किया जा सकता है, वह दौड़नेवाला प्राणी नहीं है. ऐसे में बैलों की दौड़ कराना बैलों पर अत्याचार करना है.
याचिका कर्ता अजय मराठे ने कहा कि बैलगाड़ी दौड़ प्रतियागिता पर उच्च न्यायालय द्वारा पाबंदी लगाई गई थी. नियमानुसार राज्य सरकार को न्यायालय के इस निर्णय को चुनौती देनी चाहिए थी. लेकिन सरकार ने ऐसा न कर अपने स्तर पर बैलगाड़ी दौड़ को अनुमति दी है. इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्पष्ट किया है कि बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता यह महाराष्ट्र का पारंपरिक खेल नहीं है.
मराठे ने कहा कि इसके विपरित बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता विधेयक पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हस्ताक्षर किए है. इस विधेयक को महाराष्ट्र सरकार द्वारा 31 जुलाई को राजपत्र में दर्ज किया गया है. इसके बाद पशुसंवर्धन मंत्री महादेव जानकर द्वारा राजपत्र की प्रति भोसरी के विधायक महेश लांडगे को सौंपी गई. राजपत्र में दर्ज होने को यह समझा गया कि बैलगाड़ दौड़ प्रतियोगिता को मंजूरी मिल गई. लेकिन मूलत: ऐसा नहीं है.
मराठे की याचिका में रखे गए मुद्दों को उच्च न्यायालय में गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता में बैलों को चोट न पहुंचे इस बारे में नियमावली जारी करने के लिए दो सप्ताह का समय देते हुए अपनी भूमिका स्पष्ट करने के निर्देश दिए है.
– 5 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान
दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि राज्य में होनेवाली बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता को जिलाधिकारियों के माध्यम से अनुमति दी जाएगी. इसके लिए पशूसंवर्धन विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर नियम शर्तें लागू की जाएगी. इसके तहत दौड़ में शामिल किए जानेवाले बैलों को किसी प्रकार की कोई चोट नहीं पहुंचनी चाहिए. यदि किसी बैल को चोट आदि लगती है तो संबंधित व्यक्ति पर पांच लाख रुपए तक जुर्माना या तीन वर्ष की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है.