जामनेर (तेज समाचार प्रतिनिधि). जामनेर तहसील के वाकडी में 10 जून को हुए दलित कांड के बाद पीड़ित परीवारों से सांत्वना हेतु मिलने पहुंचने वाले नेताओं की आयी बाढ़ जो कब की थम चुकी है, उसके बीच गरमायी राजनीति के बाद अब गांव मे स्थिति सामान्य हो गयी है. नेताओ के दौरे थम चुके है. घटना के 15 दिन बाद उन दो नाबालिगों में से एक के घर पहुंचे तेज समाचार के संवाददाता से बातचीत मे पीड़ित नाबालिग ने बताया कि आखरी बार सरकार के कोई मधुकर कांबले ने हमसे मुलाकात कर हालचाल जाना था. उसके बाद यहां कोई भी आया नहीं है. माता-पिता खेतों में मजदूरी के लिए गए हैं. पुलिस टीम दिनरात हमारी झुग्गी के सामने ही टेंट लगाकर हमारी सुरक्षा में तत्पर है. वहां से दूसरे पीड़ित के घर मातंग बस्ती में पहुंचने पर पता चला कि वहा भी प्रशासन द्वारा पुलिस की सुरक्षा कायम है. सुरक्षा मे तैनात कर्मियों ने बताया कि प्लाटून को ऊपर से कोई अगला आदेश नहीं आया है. वही जिन बावडियों में बच्चे तैरने गए थे और पुलिस पंचनामे में दूसरी ही बावडी को लेकर उठे सवालो के बीच दोनों बावडियों को दी गयी सुरक्षा अब निकाल ली गयी है.
बारिश के आने से खेतमालिक ने खेत का गेट बंद कर बोयी गयी कपास को खादपानी देने का काम शुरू कर दिया है. बस स्टैंड की दुकानों पर सन्नाटा छाया है. घटना के बाद कल तक सर्वव्यापी मानसिक आधार के धनी बनें पीड़ित के परीवारजन अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में व्यस्त हो गए है.
इस मामले ने जहां राष्ट्रीय स्तर पर काफी सुर्खियां बटोरी और मीडिया की भूमिका से न्याय की दिशा को सही आयाम मिलने में मदद हासिल हुयी, वही राजनीतिक तर्ज पर असली द्वंद्व अब सूबे के मानसून सत्र में आरंभ होना है. जहां मुख्य विपक्षी दलों ने सदन मे सरकार को घेरने के लिए अच्छा होमवर्क किया जाने की बात कही जा रही है. अत्याचार की इस घटना ने पिछडे समुदाय की उन सार्वजनिक बुनियादी जरुरतों पर भी प्रकाश डाला है जिनसे उन्हे बरसो से वंचित रखा गया है , बहरहाल पिडीतो को मात्र नेताओ के आश्वासनो के अलावा प्रशासन की ओर से कीसी ठोस मदत का लाभ अब तक तो नहि हो सका है लेकीन सत्र मे उनके पुनर्वास को लेकर शाश्वत प्रयास होना निश्चित है . रहि बात मामले मे अभियुक्तो की तो सुत्रो ने बताया की उन्हे 22 जुन के बाद 15 दिन के लिए न्यायिक हिरासत मे भेज दिया गया है .