जामनेर (तेज़ समाचार प्रतिनिधि):6 जून को तहसिल क्षेत्र के तोंडापुर , फत्तेपुर , पालधी , पहुर समेत परीपेक्ष मे हाजरी लगा चुकी चक्रावाती बारीश से खुश कीसानो द्वारा इसे मान्सून कि दस्तक समझकर की गयी फसलो की पहली बुआयी से अंकुरीत पौधे आज बारीश के अभाव और तेज धूप के कारण जल जाने की कगार पर है . चक्रावाती तुफ़ान ने बोदवड तहसिल के रेवती , येवती , शेलवड , भानखेडा , भुसावल के केर्हाला , किन्ही , जामनेर के पूर्वी इलाको के गांवो समेत नेरी गुट मे काफी आर्थिक नूकसान पहुचाया है . जिसकी मार से कीसान अब तक उबर नहि सके है . तहसिल की कुल खेती क्षेत्र मे महज 20 फीसद जमीन सिंचायी संसाधनो से लैस है यानी बागायती है और बची हुयी 80 फीसद जमीन पर की जाती खेती पूर्ण रुप से प्रकृती पर निर्भर है . यानी स्वाभावीक रुप से क्षेत्र कि आबादी का बहुत बडा हिस्सा मान्सून पर निर्भर रहता है . पश्चिमी छोर पर सिंचायी का मुख्य स्त्रोत वाघुर डैम मे अब 30 फीसद पानी शेष है वहि उसपर करीब 40 गांवो के सिंचायी कि प्रस्तावीत लिफ़्ट इरीगेशन परीयोजना का 2011 से चल रहा काम बेहद धिमी गती से संचालित कीया जा रहा है . जलवितरण व्यवस्था के अभाव से कांग प्रकल्प का बैक वाटर जंगलो की शोभा बढा रहा है , कमानी तांडा के सभी तालाब कब के सुख चूके है . बीते साल कमजोर मान्सून के चलते कीसानो को तीन बार फसलो की बुआयी करना पडी थी , अंतिम चरण मे हुयी संतोषजनक वर्षा से कपास की फसल हाथ मे आयी लेकीन कपास पर बोंडइल्ली के संक्र्मण से पैदावार पर बुरा असर पडा उसमे जहा प्रती क्विंटल 7 हजार की अपेक्षा थी वहा उचीत समर्थन मूल्य नहि मिल सका आखिरी आखिर 5100 तक कपास बेचना पडी , मका को भी महज 1100-1150 का भाव मिल पाया . इस साल राजस्व के सर्वर डाउन जैसे तकनीकी समस्या से जुझ रहे प्रशासन को कीसानो के असंतोष का सामना अब तक करना पड रहा है , जहा सोसायटीयो से ऋण प्रस्ताव लंबीत रहने के चलते बीते बरस के बोंडइल्ली सहायता राशी स्वरुप मिलने वाली सरकारी रकम मे कुछ जुगाड कर सिमांत और छोटे कीसानो ने पैसा जुटाकर बूआयी के लिए मार्केट से बीज और खाद खरीदे है .त्राहिमाम देखो तो अब बारीश की कोई संभावना हि नहि दिखायी पड रहि है . दुरदराज के मृत जलस्त्रोतो से पानी लाकर बोए गए बीजो से अंकूरे पौधो को जलने से बचाने के लिए कीसानो के अविरत प्रयास जारी है . इस वर्ष कपास का बुआयी क्षेत्र पहले जैसा बरकरार है , मका औसत है . जानकारो के मुताबीक अगर 25 जुन तक बारीश न हुयी तो दोबारा बुआयी का संकट गहरा सकता है .