जामनेर (नरेंद्र इंगले):शहर मे नए शापिंग मौल बनने के बाद भी पूनर्वास के अभाव से सडको से सटकर छोटी छोटी ठेलागाडीया लगाकर जिवनयापन करने वाले विस्थापीतो को अब कानून व्यवस्था के नाम पर नए तरीके से परेशान किया जाने लगा है . जिसके लिए प्रशासन ने मार्केट बंद वाला नया ट्रेंड आरंभ किया है . इस ट्रेंड का श्री गणेश हाल हि मे सोनेश्वर मंदीर जिर्नोद्धार समारोह से किया गया . तब पुरे तीन दिनो तक खुदरा बाजार बंद होने के कारण मुख्य सडके विरान रहि . अब सुत्रो के मुताबीक बताया जा रहा है कि शिवजयंती और राष्ट्रवादी काँग्रेस के राज्यस्तरीय हल्लाबोल यात्रा के चलते एहतीयातन तौर पर कानून व्यवस्था का हवाला देकर प्रशासन द्वारा बंद का कदम उठाया गया है .
दो दिनो के लिए सडक मार्केट बंद का ऐलान प्रशासन ने भोपु बजाकर कर दिया है . साथ हि आदेश की नाफरमानी करने पर भारी जुर्माने की चेतावनी भी दि गयी है . इस अदभुत बंद से पक्के मौल को छूट दि गयी है वहि निजी यातायात सुविधाए भी बंद कि जद मे लायी गयी है . मुख्य सडको से सटकर ठेलो पर तकरीबन 500 खुदरा दूकानदार और 200 निजी टैक्सि धारक बडी मुश्कील से गुजारा करते है . मुफलिसी का शिकार इन सभी तत्वो मे बंद को लेकर बेबसी का आलम इस कदर है की यह लोग लोकतांत्रीक ढंग से प्रशासन कि आलोचना भी नहि कर सकते .
वहि बंद के इस असंतुलित और दोहरे मापदंड वाले ट्रेंड को कुछेक लोगो पर थोपकर आखिर प्रशासन क्या साबीत करना चाहता है ? या यू कहे कि सुरक्षा का हवाला देकर ऐसे ट्रेंड्स को लागु करना कीसी अन्य छदम पहलू की सुगबुगाहट है जो भय का संकेत दे रहा हो ? क्या प्रशासन इतना भी आत्मनिर्भर नहि की वो उक्त ट्रेंड्स का आदी बनने पर विवश है ? कानूनी जानकारो के मुताबीक जिला प्रशासन को सुरक्षा के दृष्टि से बाजार बंद के अधिकार अवश्य प्राप्त है बशर्ते उनके अमल मे दोहरा मापदंड न हो . बुद्धिजिवीयो मे प्रशासन के इस मनमानी की कडी आलोचना कि जा रहि है साथ हि उस कथित अजेंडे कि जो ट्रेंड के रुप मे गरीब दूकानदारो पर थोपा जा रहा है .