मुंबई ( उमेश यादव ) – मुंबई में प्रदूषण खतरनाक स्तर से 6 गुना ऊपर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट तो यही कहती है। ग्रीनपीस इंडिया के शोध के अनुसार जनवरी, नवंबर और दिसंबर में बाकी महीनों की तुलना में अधिक प्रदूषण रहा है। मुंबई में केवल बांद्रा और सायन से ही प्रदूषण की मात्रा के डेटा हासिल किए सकते हैं। बाकी जगहों पर लोगों को पता भी नहीं है कि वे जिस हवा में सांस ले रहे हैं वह कितनी जहरीली होती जा रही है।
मुंबई में 2016 में पर्टिक्युलट मैटर 10 के लिए वायु गुणवत्ता 132 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर और 2017 में वायु गुणवत्ता 130 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर दर्ज की गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानक 20 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर है। इसका मतलब प्रदूषण खतरनाक स्तर से कम से कम छह गुना अधिक हुआ। पर्टिक्युलट मैटर 10 के पार्टिकल्स ज्यादा खतरनाक होते हैं क्योंकि ये हमारे फेफड़ों में दाखिल हो सकते हैं। पेट्रोल, डीजल, कोयला, कचरा जलाने के अलावा निर्माणकार्यों के दौरान बनने वाले छोटे-छोटे पार्टिकल्स पीएम 10 में आते हैं। ये फेफड़ों में पहुंचकर इंसानों को बीमार बनाते हैं।
(मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित)