नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). पद्मभूषण महाकवि व गीतकार गोपालदास ‘नीरज’ का 93 वर्ष की उम्र में गुरुवार शाम निधन हो गया. बताया जाता है कि नीरज सोमवार को अपनी बेटी से मिलने आगरा गए हुए थे, जहां उन्हें सीने में दर्द के चलते दिल्ली लाया गया और एम्स में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों के अनुसार नीरज के सीने में संक्रमण हो गया था, जिसके कारण उनकी मौत हुई है.
– पद्मश्री व पद्मभूषण से सम्मानित
नीरज को 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें यश भारती सम्मान से भी सम्मानित किया. फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला. 1970 में फिल्म चन्दा और बिजली के गीत ‘काल का पहिया घूमे रे भइया!’, 1971 में फिल्म पहचान के गीत ‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं’ और 1972 में फिल्म मेरा नाम जोकर के गीत ‘ए भाई! जरा देख के चलो’ के लिए उन्हें पुरस्कार मिला.
– टाइपिस्ट से गीतकार तक का सफर
गोपालदास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ. छह साल की उम्र में उनके पिता बाबू बृजकिशोर सक्सेना का साया उनके ऊपर से उठ गया था. स्कूली पढ़ाई के बाद नीरज ने इटावा की कचहरी में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया. उसके बाद दिल्ली में भी अलग-अलग जगह टाइपिस्ट या क्लर्क की नौकरी की. नौकरी के साथ-साथ उन्होंने हिन्दी साहित्य से स्नातकोत्तर तक पढ़ाई की. वे मेरठ कॉलेज में हिन्दी के व्याख्याता रहे. बाद में अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में हिन्दी विभाग में पढ़ाने लगे. इस बीच उनकी काव्य प्रतिभा की लोकप्रियता मुंबई तक पहुंच गयी. उन्होंने बरसों तक फिल्मों में गीत लिखे. मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी चर्चित फिल्मों के गीत बेहद लोकप्रिय हुए.
– महाकवि नीरज की कुछ रचनाएं
* मुझको याद किया जाएगा
आंसू जब सम्मानित होंगे
मुझको याद किया जाएगा
जहां प्रेम का चर्चा होगा
मेरा नाम लिया जाएगा.
मान-पत्र मैं नहीं लिख सका
राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक रहा जनम से
सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मालूम नहीं ये केवल इस गलती के कारण
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा
मुझको याद किया जाएगा.
* स्वप्न झरे फूल से
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
लुट गये सिंगार सभी बाग के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे.
कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे.
नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई
पांव जब तलक उठे कि जिंदगी फिसल गई
पात-पात झर गए कि शाख-शाख जल गई
चाह तो निकल सकी न पर उमर निकल गई
– आज की रात तुझे आखिरी खत और लिख दूं
आज की रात तुझे आखिरी खत और लिख दूं
कौन जाने यह दिया सुबह तक जले न जले?
बम-बारुद के इस दौर में मालूम नहीं
ऐसी रंगीन हवा फिर कभी चले न चले.
– जीवन कटना था, कट गया
जीवन कटना था, कट गया
अच्छा कटा, बुरा कटा
यह तुम जानो
मैं तो यह समझता हूं
कपड़ा पुराना एक फटना था, फट गया
जीवन कटना था कट गया
– नीरज के कुछ हिट फिल्मी गीत
1. फूलों के रंग से, दिल की कलम से, तुझको लिखे रोज पाती (फिल्म: प्रेम पुजारी)
2. शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, उसमें फिर मिलाई जाए थोड़ी सी शराब (फिल्म: प्रेम पुजारी)
3. रंगीला रे, तेरे रंग में यूं रंगा है मेरा मन, छलिया रे न बुझे है किसी जल से ये जलन (फिल्म: प्रेम पुजारी)
4. लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए (फिल्म:कन्यादान )
5. खिलते हैं गुल यहां, खिल के बिखरने को (फिल्म: शर्मीली)
6. ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली (फिल्म:शर्मीली)
7. आज मदहोश हुआ जाए रे मेरा मन (फिल्म:शर्मीली)
8. चूड़ी नहीं ये मेरा दिल है, देखो-देखो टूटे न (फिल्म:गैम्बलर)
9. दिल आज शायर है, गम आज नगमा है.. शब ये गजल है सनम (फिल्म:गैम्बलर)