यावल (तेज़ समाचार प्रतिनिधि):शहर में करीब ४७ साल पहले निर्माण किया गया बसअड्डा अब आखिरी सास गिन रहा हैं। इस बसअड्डे में मुख्य इमारत के दिवार बडे पैमाने पर जिर्ण हुए हैं। उनका प्लॅस्टर निकल रहा हैं। तथा दिवारों को दरारे पडे हैं। किसी भी समय इमारत गिरने का डर व्यक्त किया जा रहा हैं। यावल शहर में बुरहानपुर – अंकलेश्वर राज्य मार्ग सटे बडी जगह पर सन 1968 में बसअड्डे की इमारत निर्माणकार्य की शुरूवात हुई थी। एवं 26 फरवरी 1969 के राज्य के तात्कालीन मंत्री तथा पूर्व राष्ट्रपती प्रतिभाताई पाटील इनके हाथों उद्दघाटन किया गया था। तब से आज तक राज्य के दुसरे आगार घाटे होते हुए भी केवल यावल आगार का जिले में हमेंशा सही नफ में रहनेवाला के रूपमें नाम हैं। तथा बस में वायफाय द्वारा मुफ्त इंटरनेट, बसअड्डे में सीसीटीव्ही कॅमेरे आदि अच्छी सुविधा भी यात्रीओं को दी गई हैं।
ऐसा होते हुए भी इमारत की यहं दुर्दशा की ओर अनदेखी की जा रही हैं। क्योंकी करीब ४७ साल पहले निर्माण किए इस बसअड्डे की इमारत की अवस्था को देखते हुए सन २०१३ में तत्कालीन आगार व्यवस्थापक डी.एम. वाणी ने वरिष्ठों को यहां के मुख्य बसअड्डे की दुरूस्ती अथवा नुतनीकरण आवश्यक होने का बताया था। लेकिन वरिष्ठों ने इस ओर पूरी तरह अनदेखी करने का दिखाइ्र दिया हैं। इस इमारत के दिवार बडे पैमाने पर जीर्ण हुई हैं। सभी ओर उनका प्लॅस्टर निकला हैं। एवं दिवारों में बारीश का पानी जाने से उन्हें भी दरारे पडे हैं। ऐसी परिस्थिती में इमारत गिरने का डर व्यक्त किया जा रहा हैं। तब वरिष्ठों को इस ओर ध्यान देरक बसअड्डे की इमारत के नुतनीकरण के लिए आगे आने की मांग यात्रीयों से की जा रही हैं।
इमारत में हमेंशा ही भीड़
इस बसअड्डे की इमारत में मासिक पास, स्थानक नियत्रंक, जांच एवं उब्दोधन कक्ष, हिरकणी कक्ष ऐसा कार्यालय हैं। उपहार गृह एवं यात्रीयों को रूकने की जगहर भी यही हैंं। यहां सुबह से ही जमा होनेवाली भीड देररात तक रहती हैं। खतरेवाले इस इमारत में जान हथेली पर लेकर यात्री सहीत आगार के कर्मचारी कामकाज करते हैं।
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