यह सत्य है कि संयुक्त परिवार के सुख दीर्घकालीन होते हैं जिसका अनुभव कठिनाई व दु:ख की घडि़यों में महसूस किया आता है। जब भी परिवार में कोई सुखद प्रसंग आता है तब अपनों की याद बड़ी सताती है। जब भी हम गलतियाँ करते हैं तब हमें मीठी फटकार लगाकर समझाने वालों की याद आती है लेकिन यह तभी संभव है जब हम संयुक्त परिवार का हिस्सा हों। समय के बदलाव के साथ अब अपने अभिभावकों के साथ रहने का दौर भी फिर से बदलता जा रहा है . विदित हो की भारत में 22 से 29 साल के 80 प्रतिशत शहरी युवा अपने पैरेंट्स के साथ रहते हैं. संपत्ति सलाहकार सीबीआरई की रिपोर्ट के अनुसार चीन में यह आंकड़ा 60 प्रतिशत और आस्ट्रेलिया में 35 फीसदी है. सीबीआरई समूह के सर्वे ‘द मिलेनियल्स’ में कहा गया है कि करीब 70 प्रतिशत लोग, जो अपने माता-पिता के साथ नहीं रहते हैं, वे अपने खुद के मकान के बजाय किराए के घर में रहना पसंद करते हैं. यह सर्वेक्षण भारत सहित 13 देशों में किया गया. सर्वेक्षण में शहरों में रहने वाले युवओं के कामकाज के माहौल, रहने की पसंद और उपभोग के तरीके पर विचार लिए गए. सीबीआरई ने कहा कि 82 प्रतिशत भारतीय युवा अपने अभिभावकों के साथ रहते हैं. आस्ट्रेलिया में यह आंकड़ा सिर्फ 35 प्रतिशत है, जबकि चीन में 61 प्रतिशत का है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पैरेंट्स के साथ रहने वाले 25 प्रतिशत भारतीय युवाओं का अपना पारिवारिक घर छोड़कर जाने का इरादा नहीं है. वहीं 23 प्रतिशत अगले दो से पांच साल में पारिवारिक मकान को छोड़ने का इरादा रखते हैं. 65 प्रतिशत युवाओं का इरादा जीवन की गुणवत्ता से समझौता किए बिना भविष्य में संपत्ति खरीदने का इरादा है.( तेज समाचार डेस्क )