पुणे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि कुछ लोगों ने कट्टरवादी बना रखी है. लेकिन लोकसभा में उनका भूमिका, कामकाज में विभिन्न विषयों में चर्चा में सहभाग और उनके राजनीतिक कार्यकाल में अभी तक के कामों को देखते हुए उनकी छवि कट्टर हिंदुत्वादी मानना पूरी तरह से गलत है. यह विचार योगी आदित्यनाथ के जीवन पर लिखी पुस्तक ‘द मॉन्क हू बिकम चीफ मिनिस्टर’ के लेखक शांतनु गुप्ता ने यहां व्यक्त किए. पुणे के यशदा में आयोजित 5वें पुणे इंटरनेशनल लिटररी फेस्टीवल में शांतनू गुप्ता का लेखक शेफाली वैद्य ने साक्षात्कार लिया. इस शेफाली और उपस्थितों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर उन्होंने दिए.
गुप्ता ने कहा कि राजनीति में शुरू से कहा जाता है कि राजनीतिम में युवओं को आगे आना चाहिए. लेकिन वरिष्ठ राजनेता ऐसा होने नहीं देते. लेकिन योगी आदित्यनाथ ने युवावस्था में राजनीति में कदम रखा और ४४ वर्ष की उम्र में वे युवा मुख्यमंत्री बने. उन्हें लोगसभा का 20 साल का पुख्ता अनुभव है. उन्होंने विभिन्न विषयों पर चर्चा में पूरी शिद्दत के साथ भाग लिया. उनकी उपस्थिति, प्रश्न रखना उनकी राजनीतिक परिपक्वता को साबित करता है. पिछले 3 वर्ष से उनकी पार्टी की केन्द्र में सत्ता होने पर उन्होंने मानव विकास निर्देशांक, यूपीएससी विद्यार्थियों की समस्याएं, फसल बीमा, सौर ऊर्जा, भारत-चीन संबंध आदि विभिन्न विषयों पर करीब 3०० प्रश्न लोकसभा में पूछे. उनके द्वार पूछे गए प्रश्नों में 95 प्रतिशत प्रश्न विभिन्न समस्यायों और विकास के संदर्भ में थे और शेष 5 प्रतिशत प्रश्न सांस्कृतिक विषय को लेकर थे. इस कारण राजनीति में पूर्वाग्रह से ग्रसित कुछ राजनीतिज्ञों ने उनकी जो कट्टर हिंदुत्ववादी भूमिका बनाई है, वह पूरी तरह से गलत है.
– लोकप्रिय व सक्षम व्यक्ति को ही मिलता है सम्मान
लेखक ने आगे कहा कि भाजपा के अभी तक के इतिहास पर यदि हम स्वस्थ विचारधारा से नजर डाले, तो आप देखेंगे कि भाजपा में लोकप्रिय व सक्षम व्यक्ति को सर्वोच्च पद का मान मिलता है. अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, प्रधानमंत्री मोदी को देख कर यह बात अपने आप में साबित हो जाती है. शांतनू गुप्ता ने कहा कि इसी पाश्वभूमि पर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया है. वे आज मुख्यमंत्री बने है, लेकिन उनके मठ में काफी पहले से ही जनता दरबार लगता है और हर जाति-धर्म के लोगों की समस्याओं का निराकरण भी किया जाता है.
उत्तर प्रदेश में चाहे मुलायम सिंह की सरकार हो या मायावती की, योगी आदित्यनाथ की चिट्ठी से तक भी लोगों के काम होते थे और आज भी होते है. योगी के दरबार में कोई टेंडर पास कराने नहीं जाता, बल्कि आम नागरिक अपनी समस्याएं लेकर जाते है. इनमें पेन्शन, खेती, पारिवारिक आदि जैसी लोगों की आम समस्याएं शामिल होती है. लोगों का विश्वास है कि योगी की चिट्टी से हर काम होता है. इसलिए लोग योगी की चिट्टी को ‘जादू की चिठ्ठी’ कहते है. योगी के मठ में २२ संस्थाएं है और ५५,००० विद्यार्थी है. उनके कामकाज के तरीके को देखते हुए उन्हें कट्टरवादी कहना कदापि उचित नहीं है.