( तेज़ समाचार डेस्क ) – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो. राजेन्द्र सिंह का जन्म 29 जनवरी 1922 को ग्राम बनैल जिला बुलन्दशहर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. राजेन्द्र सिंह जी को घर में प्यार से रज्जु कहने के कारण ” रज्जू भैया ” उनका यही नाम सर्वत्र लोकप्रिय हुआ.
उन्हें पढने के लिए प्रयाग भेजा गया उन्होंने प्रथम श्रेणी में एम.एस.सी उत्तीर्ण की. उनकी एम.एस.सी. की प्रयोगात्मक परीक्षा लेने नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. सी.वी. रमन आये थे. वे उनकी प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुए तथा उन्हें अपने साथ बैंगलोर चलकर शोध करने का आग्रह किया पर रज्जू भैया के जीवन का लक्ष्य तो कुछ और ही था.
प्रयाग में उनका संपर्क संघ से हुआ और वे नियमित शाखा जाने लगे. संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरूजी से वे बहुत प्रभावित थे. 1943 में रज्जू भैया ने काशी से प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का प्रशिक्षण लिया. वहाँ श्री गुरूजी का ’शिवाजी का पत्र, जयसिंह के नाम’ विषय पर जा बौद्धिक हुआ, उससे प्रेरित होकर उन्होंने अपना जीवन संघ कार्य हेतु समर्पित कर दिया. अब वे अध्यापन कार्य के अतिरिक्त शेष सारा समय संघ कार्य में लगाने लगे. उन्होंने घर पर बता दिया कि वे विवाह के बंधन में नहीं बंधेंगे.
वर्ष 1966 में उन्होंने विश्वविद्यालय की नौकरी से त्यागपत्र दे पूरा समय संघ को ही देने लगे. उनकी योग्यता के कारण उनका कार्यक्षेत्र क्रमशः बढता चला गया. आपातकाल के समय भूमिगत संघर्ष को चलाये रखने में रज्जू भैया की बहुत बडी भूमिका थी. उन्होंने प्रोफेसर गौरव कुमार के नाम से देश भर में प्रवास किया. जेल में जाकर विपक्षी नेताओं से भेंट की और उन्हें एक मंच पर आकर चुनाव लडने को प्रेरित किया. इसी से इन्दिरा गांधी की तानाशाही का अंत हुआ.
1977 में रज्जू भैया सह सरकार्यवाह, 1978 में सरकार्यवाह और 1994 में सरसंघचालक बने. बीमारी के कारण उन्होंने 2000 ई. में श्री सुदर्शन जी को यह दायित्व दे दिया. वह अन्तिम समय तक सक्रिय रहे. 14 जुलाई, 2003 को कौशिक आश्रम, पुणे में रज्जू भैया जी का देहान्त हो गया. – साभार विश्व संवाद केंद्र भोपाल