धन्य है हमारे देश की न्यायपालिका जो कभी फांसी की सजा पा चुके खूखार आतंकी याकूब मेनन को जीवित रहने का मौका देने के लिए उसके वकीलों की अपील पर देर रात अपने दरवाजे खोलकर आतंकी की फांसी की सजा को बरकरार रखती है. यह शायद इसलिए भी हुआ कि याकूब या उसके परिजन या समर्थक यह न कहें कि उसके साथ इंसाफ नहीं हुआ. धन्य है हमारी न्यायपालिका जो कर्नाटक के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ देर रात अदालत का दरवाजा खटखटाने वाली कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई के लिए राजी होती है और पूरी रात सुनवाई कर अपना फैसला सुनाती है. धन्य है हमारी न्यायपालिका जो असीमानंद जैसे निर्दोष लोगों को न्याय देकर हिन्दू आतंकवाद को स्थापित करने के षड़यंत्रों का पर्दाफाश करती है. ऐसे कई फैसले हैं जिससे न्यायपालिका के सम्मान में हमारा सिर झुक जाता है. लेकिन देश से गायब होने की कगार पर पहुंच चुकी कांग्रेस को न्यायपालिका पर खोट नजर आने लगा है. न्यायालय का हर फैसला उसे डरावना लगने लगा है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी छत्तीसगढ़ में इस न्यायपालिका की तुलना पाकिस्तान से कर रहे हैं. उन्हें देश के अंदर डर का माहौल दिखाई देने लगा है. पता नहीं उन्हें किस बात से डर लग रहा है. कर्नाटक में सरकार नहीं बन पाई तो उन्हें पूरे देश में डर का माहौल दिखाई देने लगा. वैसे राहुल गांधी गलत नहीं कह रहे हैं. वास्तव में इस समय वे खुद ही डरे हुए हैं. जिस तरह से
उनकी पार्टी एक एक कर राज्यों से विदा होती जा रही है, उनका जनाधार खिसकता जा रहा है, उससे डर लगना स्वाभाविक ही है. राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि यह उन्हीं की पार्टी थी जिसके लिए देर रात अदालत ने अपना दरवाजा खोला और आधी रात से लेकर सुबह के साढ़े पांच बजे तक सुनवाई कर अपना फैसला दिया. जब फैसला मनमाफिक नहीं आया तब उन्होंने इस न्यायपालिका की तुलना पाकिस्तान से कर डाली. अदालत के फैसले पर उन्हें डर सताने लगा. राहुल जी न्यायपालिका ने तो आपका ही सम्मान किया. आपकी बात का सम्मान किया. आपकी शिकायत पर सुनवाई की. अब आपकी शिकायत ही नाजायज हो तो इसके लिए न्यायालय क्या कर सकता है? राहुल गांधी आज डरे हुए, उनके इस डर को हम समझते भी है. राहुल गांधी जी यदि आप इतिहास के पन्नों को पलटें या अपनी मां से पूछे तो पता चलेगा कि किस तरह से नेहरू से लेकर इंदिरा तक और इंदिरा से लेकर राजीव गांधी तक बहुमत की सरकारों को कुचला गया.
राहुल जी याद कीजिए कांग्रेस के उस इतिहास को जिसने इस देश में आपातकाल लागू कर पूरे देश में डर कायम कर दिया था. आज भी हमारे बड़े-बूढ़ों के उस काल को याद कर रौंगटे खड़े हो जाते हैं. याद कीजिए कांग्रेस के उन साठ सालों को जब देश में भय और अराजकता का माहौल था. भ्रष्टाचार का बोलबाला था. तब हर शख्स डरा-डरा सा था. राहुल जी अच्छा हुआ कि आप न्यायपालिका पहुंचे और न्यायपालिका ने भी आपके झूठ को बेनकाब कर येदियुरप्पा को शपथ दिलाई.