नई दिल्ली. मुस्लिम कट्टरवाद पर लिखी अपनी पुस्तक लज्जा से विवादों में आयी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश में रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि बांग्लादेश ने जिस तरह रोहिंग्या मुसलमानों को शरण दी है, क्या वह ऐसा ही हिन्दू, बौद्ध या क्रिश्चनों के साथ करता? यदि वह ऐसा करता, तो उसकी इस नीति का स्वागत है. लेकिन यदि बांग्लादेश ने वोटों के लिए रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण दी है, तो यह उचित नहीं है.
तस्लीमा ने ट्विट कर रोहिंग्या मुद्दे पर बांग्लादेश की इस नीति की आलोचना की है. आपको बता दें कि तस्लीमा बांग्लादेशी हैं. लेकिन वह निर्वासित जिंदगी जी रही हैं. वह खुद मुस्लिम हैं. उन्होंने अपने उपन्यास में कट्टर मुस्लिमों की जमकर आलोचना की है. इसी कारण से उन्हें देश से बाहर कर दिया गया. तस्लीमा ने अपने मशहूर उपन्यास लज्जा में हिंदू परिवार पर हुए जुल्म का विवरण दिया था.
तस्लीमा ने अपने ट्विट में लिखा है कि बांग्लादेश ने रोहिंग्या को शरण देने के लिए अलग से जमीन दी है. क्या मानवता के कारण उन्हें शरण दिया गया है या फिर वोट नीति का मुद्दा है. क्या रोहिंग्या मुस्लिम की जगह किसी हिन्दू, बौद्ध या फिर क्रिश्चियन को शरण की जरूरत होती, तो उनके साथ भी बांग्लादेश ऐसा ही बर्ताव करता.