यंगून ( एजेंसियां ) – म्यांमार के अशांत रखाइन प्रांत में पिछले साल भड़की हिंसा के दौरान रोहिंग्या आतंकियों ने हिंदुओं पर भी कहर बरपाया था. रोहिंग्या मुस्लिम आतंकवादियों ने साल अगस्त 2017 में दर्जनों बेकसूर हिन्दूओं पर हमले करके मार दिया था. मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की बुधवार को आई रिपोर्ट से नरसंहार की यह दिल दहला देने वाली घटना उजागर हुई है.
सामूहिक नरसंहार करने वाले इस संगठन का नाम अरसा है. रिपोर्ट के अनुसार, यह कत्लेआम 25 अगस्त, 2017 को किया गया था. रोहिंग्या आतंकियों ने रखाइन में पुलिस चौकियों पर हमले किए थे. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को कहा कि नई जांच से इसकी पुष्टि होती है कि इस संगठन ने एक गांव में 53 हिंदुओं को मार डाला था. इनमें ज्यादातर बच्चे थे.
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बांग्लादेश में रहने वाले शरणार्थियों से किए इंटरव्यू के आधार पर कहा है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में अरकान रोहिंग्या सॉल्वेशन आर्मी यानी अरसा के आतंकवादियों ने उत्तरी इलाके के मौंगदा कस्बे को घेरकर जनसंहार किया था. पिछले साल अगस्त में उन्होंने पुलिस चौकियों पर भी हमले किए थे म्यांमार की सेना बीते सितंबर में पत्रकारों को उस इलाके में लेकर गई थी जहां कई सामूहिक कब्र मिली थीं.
मानवाधिकार संगठन द्वारा हिंसा में बचे आठ लोगों से की गई बातचीत के अनुसार इस हमले की प्रत्यक्षदर्शी महिला ने बताया, आतंकवादियों ने पहले गांव की सभी औरतों, पुरुषों, बच्चों को जमा किया और गांव के बाहर ले गए. इसके बाद उन्होंने मेरे चाचा, मेरे पिता, मेरे भाई सभी को मार दिया.
कुल 20 पुरुष, 10 औरतें और 23 बड़े बच्चे, जबकि 14 ऐसे बच्चे थे जिनकी उम्र 8 साल से कम थी. सभी के गले काटकर उन्हें तड़पाकर मारा गया. म्यांमार के हिंदू समुदाय के नेता नी माउल ने कहा, ‘हत्यारे बांग्लादेश भाग गए. इन घटनाओं के कई चश्मदीद गवाह हैं लेकिन हमें कोई न्याय नहीं मिला.’ म्यांमार के रखाइन प्रांत में अशांति का दौर शुरू होने से पहले बौद्ध और मुस्लिम बहुसंख्यक थे. अल्पसंख्यक हिंदू भी इस प्रांत में लंबे समय से रहते आए हैं. इनमें से ज्यादातर हिंदुओं को ब्रिटिश शासन के दौरान यहां बसाया गया था.