जामनेर (नरेंद्र इंगले). स्थानीय स्तर पर कथित राजनीतिक हस्तक्षेप के बावजूद मीडिया की वास्तववादी रिपोर्टिंग के बाद राष्ट्रीय समाचारों की सुर्खियां बने वाकड़ी के दलित नाबालिग बच्चों की पिटाई के मामले पर अब पूरी तरह से सियायी रंग चढ़ चुका है. घटना के बाद से राष्ट्रवादी कांग्रेस नेताओं का यहां जमघट लगने लगा है. कमेटी द्वारा की गयी समीक्षा के बाद आज इस घटना में अचानक नया मोड आ गया है. सोमवार दोपहर राष्ट्रवादी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने पार्टी कमेटी के साथ वाकड़ी मे अत्याचार पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. यहां नाबालिग की मां और मामले की शिकायतकर्ता दुर्गाबाई चांदने और उनके पति ने मलिक को बताया कि इस प्रकरण में उनके द्वारा दायर कराई गयी शिकायत को वापस लेने तथा बावडियों के पंचनामों में मुख्य बावड़ी के अलावा दूसरी पर सहमति दर्शाने के लिए पुलिस द्वारा पीड़ितों पर दबाव जा रहा है. अभियुक्त ने उन्हें चोरी के झूठे आरोपों में फंसाने की भी धमकी दी थी. मलिक के सामने पार्टी के सोशल मीडिया प्रमुख ने डाटा स्टोर में पीड़ित का बयान बतौर सबूत सुरक्षित कर लिया.
मौके पर पत्रकारों से बातचीत में मलिक ने कहा कि स्व. धर्मा पाटिल की आत्महत्या मामले की तरह इस मामले में भी सरकारी एजेन्सियों का इस्तेमाल पीड़ितों के खिलाफ किया जा रहा है. यानी यह पार्ट-2 जैसा है. वाकड़ी में पीड़ितों को धमकाने के आरोप मे संबंधित अधिकारियों पर स्वतंत्र फ़ौजदारी दायर होनी चाहिए. मलिक ने इस मामले मे मंत्री गिरीश महाजन की भूमिका पर भी सवाल उठाए है. मामले मे दूसरे पीड़ित बच्चे की मां और शिकायतकर्ता शोभाबाई चांदने के परिजनों से मिलने पहुंचे कमेटी सदस्यों ने पीड़ित परिवार को ढांढस बढाया. बाद में कमेटी घटनास्थल पर विवादित बावड़ियों का मुआयना करने पहुंची. कमेटी में चित्रा वाघ, विधायक सतीश पाटिल, गुलाबराव देवकर, कल्पना पाटिल, विजया पाटिल, मंगला पाटिल, अभिषेक पाटिल, योगेश देसले, गफ्फार मलिक, विलास पाटिल समेत स्थानीय इकाई पदाधिकारी मौजूद रहें.