दिनेश राव
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की केरल से शुरू हुई जन रक्षा यात्रा को कुछ लोग भले ही राजनैतिक चश्मे से देख रहे हों लेकिन यह यात्रा उन लोगों को न्याय दिलाने वाली साबित होगी जो वामपंथियों के आतंक के साये में घुट घुट करके जी रहे हैं. इस यात्रा से उन परिवारों को भी न्याय मिलने वाला है जिनके परिजन सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिए गए क्योंकि वे विचारों से हिन्दू थे. उनकी आस्था ऐसे संगठन में थी जो राष्ट्रवादी होकर समाज में समरसता के लिए काम कर रही है.
पूरे देश में केरल एक ऐसा राज्य बनकर उभरा है जहां राजनैतिक हिंसा चरम पर है. पी विजयन जब से इस प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं तब से उन्हीं के गृह जिले कन्नूर में आए दिन हत्याएं हो रही हैं. सबसे खास बात यह है कि जिन लोगों द्वारा यह हत्याएं की जा रही हैं, उन्हें केरल की सरकार आश्रय देकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से बच रही है. ऐसे में केरल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की अगुवाई में शुरू की गई जनरक्षा यात्रा केरल की अस्मिता को तार-तार करने वाली वामपंथी सरकार के कृत्यों को जनता के सामने उजागर करने वाली होगी. यह यात्रा उस नारायणी अम्मा को न्याय दिलाने वाली भी साबित होगी जिसके पति की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई क्योंकि वह संघ के स्वयंसेवक थे. पति की हत्या के बाद हत्यारे यही नहीं थमे, कुछ सालों बाद नारायणी के बेटे की हत्या भी इसलिए कर दी गई क्योंकि वह संघ समर्थित था.
यह यात्रा नारायणी के पति व उसके बेटे को तो वापस नहीं ला सकती लेकिन उन लोगों के लिए यह यात्रा जरूर आंखें खोलने वाली होगी जो ऐसी हत्याओं का विरोध न कर खामोश होकर बैठे हुए हैं. यह यात्रा उन लोगों में जोश भरने वाली होगी जो इन हिंसक घटनाओं के बीच राष्ट्रवाद के विचारों को विस्तार देने के काम में जुटे हुए हैं.
यह यात्रा उस दौर की भी याद दिलाती है जब 2014 के चुनाव होने थे और देश करोड़ों के घोटाले, भ्रष्टाचार से त्रस्त हो चुका था. देश की अर्थव्यवस्था खोखली होती जा रही थी, ऐसे में भाजपा ने एक नारा दिया था और वह नारा कांग्रेस मुक्त भारत का था. इस नारे ने इतना असर किया कि कांग्रेस वेंटीनेटर पर आ गई. कारण सबके सामने है. चूंकि देश की जनता कांग्रेस से तंग आ चुकी थी और वास्तव में जनता कांग्रेस से मुक्त होना चाहती थी. धीरे धीरे कर जिन राज्यों में कांग्रेस का शासन था, वहां भी उसका सफाया होता चला गया. अब ठीक यही स्थिति केरल के साथ साथ पश्चिम बंगाल, व त्रिपुरा में हैं जहां एक सोची समझी साजिश के तहत उन लोगों की हत्याएं की जा रही हैं जो विचारों संघ या उसके विचार वाली पार्टी भाजपा से जुड़े हुए हैं. पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा को लेकर जिस तरह से पिछले दो सालों से हिन्दूओं पर हमले कराये जा रहे हैं, वे किसी से छिपे नहीं है.
केरल व त्रिपुरा में तो उन लोगों को चुन चुन कर निशाना बनाया जा रहा है जो संघ के स्वयंसेवक हैं या फिर भाजपा के कार्यकर्ता हैं. ऐसे में तीन अक्टूबर से सत्रह अक्टूबर तक निकाली जा रही यह यात्रा निश्चित ही वामदलों पर भारी पड़ने वाली साबित होगी. इस यात्रा का उद्देश्य ठीक उसी तर्ज पर है जिस तरह से पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस मुक्त का नारा देकर देश को एक साफ सुथरी सरकार देने का काम किया. इस बार भाजपा ने वाम मुक्त का नारा देकर केरल में अपना बिगुल फूंका है. निश्चिततौर पर यह यात्रा कांग्रेस मुक्त के बाद वाम मुक्त की ओर अग्रसर होगी.