नई दिल्ली ( तेजसमाचार प्रतिनिधि ):राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज (01 नवम्बर, 2017) दिल्ली में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से क्योर इंडिया द्वारा आयोजित पहले वैश्विक क्लबफुट सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि क्लबफुट हड्डी से संबंधित खराबी है जो जन्म के समय से होती है। यदि प्रारंभ में इसका इलाज नहीं होता है तो इससे स्थायी विक्लांगता हो सकती है। यह बच्चे के सामान्य रूप से चलने और उसके आत्मविश्वास को प्रभावित करता है। इससे बच्चे की स्कूली शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और वह अपने सामर्थ के अनुसार अपने सपने को पूरा नहीं कर पाता।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि भारत में विक्लांगता 10 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है। दिव्यांगजनों को भी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समान अवसर मिलने चाहिएं। उन्हें सामाजिक और पेशे के अनुसार मुख्य धारा में लाने की जिम्मेदारी हमारी होनी चाहिए। कई प्रकार की विक्लांगता का इलाज हो सकता है या उनसे बचाव किया जा सकता है। बचाव, इलाज और उन्हें मुख्य धारा में शामिल करने का कार्य समान्तर रूप से होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने इस बात पर खुशी जताई कि पोलियोमाईलिटिस के नये मामले प्रकाश में नहीं आये हैं और यह पूरी तरह समाप्त किया जा चुका है। पोलियो लोको-मोटर विक्लांगता का एक प्रमुख कारण था, परंतु पिछले 6 वर्षों के दौरान पारालेसिस पोलियोमाईलिटिस का एक भी मामला सामने नहीं आया है। न सिर्फ भारत बल्कि विश्व स्तर पर जन स्वास्थ्य के इतिहास में यह एक बड़ी सफलता है। इससे हमे विक्लांगता के दूसरे प्रकारों को समाप्त करने और क्लबफुट की चुनौती का सामना करने की प्रेरणा मिलती है।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि सरकारी अस्पताल क्योर इंटरनेशनल इंडिया के साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। यह कार्यक्रम भारत के 29 राज्यों में चल रहा है। इन सफलताओं के पीछे हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रत्येक वर्ष केवल 8 हजार मामले ही इलाज के लिए आते हैं। यह एक छोटी संख्या है क्योंकि प्रतिवर्ष क्लबफुट से ग्रसित 50 हजार बच्चों का जन्म होता है। 2022 में भारत स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करेगा। यह हमारा राष्ट्रीय संकल्प होना चाहिए कि ज्योंहि किसी बच्चे के क्लबफुट से ग्रसित होने का मामला प्रकाश में आता है उसकी पहुंच इलाज की सुविधाएं तक हो।