मुंबई. शुक्रवार को मुंबई के एलफिन्स्टन रेलवे स्टेशन पर बने फुट ओवर ब्रिज पर मची भगदड़ में करीब 22 लोगों की मौत हो गई थी. इन सभी लाशों को अस्पताल में रखा गया है और लाशों पर नंबर डाले गए है. लेकिन शर्मनाक बात यह है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने अपनी बेहुदगी का परिचय देते हुए मृतकों के माथे पर ही नंबर लिख दिए. इससे मृतकों के परिजनों ही भावनाएं काफी आहत हुई है साथ ही देखने वालों को भी यह हरकत अमानवीय महसूस हुई है. कई लीडर्स ने इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा- अस्पताल प्रशासन में जरा भी शर्म नहीं बची है. उधर, शिवसेना ने सरकार पर हत्या का केस दर्ज किए जाने की मांग की है. एक चश्मदीद स्नेहा चौरसिया ने कहा- चंद मिनट पहले मैं उसी पुल पर थी. मैं लोगों को मरते हुए देख रही थी और अगर एक मिनट भी मैं वहां रुकती तो शायद बचती नहीं.’
– दूसरे प्लैटफॉर्म पर खड़ी देखती रही मौत का मंजर
निजी कंपनी में प्रोड्यूसर स्नेहा चाैरसिया एलफिन्स्टन रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के दौरान वहां मौजूद थीं. स्नेहा ने कहा, ‘करीब 10.15 मिनट पर मैं परेल उतरी. मुझे एलफिन्स्टन से चर्चगेट के लिए दूसरी ट्रेन पकड़नी थी. बारिश तेज हो चुकी थी. परेल से एलफिन्स्टन रेलवे स्टेशन पर बने फुट ओवर ब्रिज पर मैं चढ़ी. वहां पहले से ही काफी भीड़ थी. बारिश से बचने के लिए ज्यादातर लोग वहीं इकठ्ठा हो गए थे. इतनी भीड़ थी कि हाथ भी नहीं हिला सकते थे. एक मिनट भी नहीं हुअा होगा और चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनाई देने लगी. मैं तब तक दूसरे प्लैटफॉर्म पर थी, जहां से मैं सब देख सकती थी. जिस ब्रिज पर मैं कुछ मिनट पहले थी, वहां का नजारा अब बदल गया था. मैंने लोगाें को एक के बाद नीचे गिरता देखा. लोग नीचे दबे हुए थे, उनकी परवाह किए बगैर जान बचाने के लिए लोग एक-दूसरे को कुचलकर आगे निकलने लगे. कई लोग रेलिंग पर लटके और कई वहां से गिर रहे थे. भयानक मंजर था. ब्रिज पर नीचे दबे लोगाें में से किसी का सिर बाहर लटक रहा था, तो किसी का सिर्फ हाथ हिलता दिख रहा था. मैं बस देख सकती थी, मैं कुछ नहीं कर सकती थी और बस रोए जा रही थी. चंद मिनट पहले जहां मैं थी, वहां ऐसा हादसा देखा. एक महिला को देखा. जब मैं ब्रिज से गुजर रही थी तो वो काफी पीछे थी. बाद में वो नजर नहीं आई. जो महिलाएं बच गई थीं, वे खून से लथपथ थीं.’
– जितने मूंह उतनी बातें
- सीपीआरओ वेस्टर्न रेलवे रवींद्र भाकड़ ने बताया कि बारिश की वजह से फिसलन हो रही थी. जैसे ही ट्रेन आई तो आगे वाले लोग फिसले, जिसके बाद पीछे वाले भी गिरते चले गए. वैसे तो सुबह-सुबह ही भारी भीड़ ट्रेनों के जरिए निकल जाती है, लेकिन नवमी और भारी बारिश की वजह से लोग आज यहां इकट्ठे हो गए थे.
- एक चश्मदीद ने बताया, ‘अचानक चारों और से आवाज आने लगी कि भागो ब्रिज टूट गया है, जिसके बाद लोग भागने लगे. इस भगदड़ में कई लोग नीचे गिर गए. कुछ लोग उनके ऊपर चढ़ गए. ज्यादा लोगों की मौत दबने से हुई है.’
- एक और चश्मदीद ने बताया, ‘बारिश की वजह से चारों ओर पानी फैला हुआ था. ब्रिज पर एक शख्स फिसला और उसके बाद हंगामा मच गया, जिसके बाद लोग यहां-वहां भागने लगे और कई लोग दब गए.’
एक चश्मदीद ने बताया कि ब्रिज पर बारिश की वजह से भीड़ इकट्ठी हो गई थी. ट्रेन आई तो आगे खड़ी लड़की फिसल गई. इसके बाद पीछे के लोग गिरते चले गए. घटनास्थल पर लोगों की चप्पलें, बैग और सामान बिखरे पड़े हैं. - स्थानीय लोगों का आरोप है कि आधे से ज्यादा ब्रिज को हॉकर्स ने कब्जा कर रखा है. यहां पब्लिक के चलने लिए जगह नहीं है और पुलिस वाले हफ्ता खाते हैं. ब्रिज पब्लिक के लिए है या धंधा करने वालों के लिए. हादसा तो होना ही था. रेलवे का ध्यान पब्लिक की तरफ नहीं है.