अकोला(तेज़ समाचार के लिए अवेस सिद्दीकी) :एक तरफ जहां की सरकार सफाई के लिए करोडो रुपय खर्च कररही है तो दूसरी ओर शहर की समाजसेवी संस्थाएं लोगों में सफाई को लेकर जागरूकता अभियान चलाये हुये है, लेकिन मनपा प्रशासन पर इसका कोई असर साफ- साफ दिखता नजर नहीं आता केवल दिखावे की सफाई कीए जाने के आरोप नागरिको द्वारा लगाए जा रहे है । कौंसिल कर्मचारियों की लापरवाही के चलते जगह- जगह गंदगी और कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं। जिसको लेकर लोगों में भारी रोष व्याप्त है।
ईदगाह बस्ती,मोमीनपूर, पुराना शहर , इंदिरानगर आदी परीसर के लोग नर्क जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं, कचरे की वजह से परिसर मे मच्छरो का प्रकोप बढ गया है जिस्की वजह से परिसर नागरिक विविध बीमरियो मे लिप्त हो रहे है तथा दुर्गंन्ध से परेशान है लोगों का आरोप है कि सफाई सेवक भेदभाव की नीति अपना रहे हैं, जिसके कारण इस परीसर मे सफाई व्यवस्था चरमरा रही है शहर मे जबजाह कुडे के अंबार नजर आते है जिस्की ओर प्रशासन पूर्ण रूप से अँखे बंद कीए हुए है । सफाई कर के नाम पर कचरा घंटा गाडी द्वारा 30 रुपय प्रति माह सामान्य नागरिको से तथा 50 रुपय प्रति होटल से लिया जाता है लेकीन कोई उचित सेवा नही दी जाती इस भुक्तान से बचने शहर के बहुतांश नागरिक कचरा घंटा गाडी का उपयोग नही कररहे तथा अनियमित रूप से गिला एवं सुखा कुडा परिसर के खाली जगाहो पर दालने से भी शहर की साफ सफाई चरमरा गाई है शहर के करीब 40 प्रतिशत नागरिक कचरा घंटा गाडी का उपयोग नही करते।
चिराग तले अंधेरा
शहर को स्वच्छ रखने का आश्वासन देने वाली तथा स्वच्छ अकोला सुंदर अकोला का नारा लगाने वाली मनपा मे ही अस्वच्छता देखी जसक्ती है ,एक तरफ मनपा पार्किंग परिसर मे कुडे का ढेर नजर आता है तो दुसरी ओर शराब तथा पाणी की खाली बोटले मानो इसे कुडादान स्थान बना दिया गया हो इसी के साथ मनपा मे आने वाले नागरिक एवं बहुतांश कर्मचारी बेशाब के लिए भी पार्किंग परिसर का उपयोग कररहे है जब मनपा मे ही जबजाह अस्वच्छता है तो शहर मे स्वछता का प्रश्न ही निर्माण नही होता