– पुणे में एमआईटी में नेशनल टीचर्स कांग्रेस का उद्घाटन
पुणे. “धर्म के नाम पर विश्व में विवाद खडे हो रहे है. ऐसे समय शांति प्रस्थापित करने के लिए शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. शिक्षा से मानवता और हम सब एक है जैसी भावना छात्रों में निर्माण करनी की जिम्मेदारी उनकी है. २१वीं सदी में अच्छे समाज का निर्माण करने मानवता के बीज बोने होगे. यह विचार आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने रखे.
एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट (मिटसॉग) और एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवसिटी के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे नेशनल टीचर्स कांग्रेस के उद्घाटन मौके पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में वे बोल रहे थे.
इस मौके पर पुणे की महापौर मुक्ता तिलक, वरिष्ठ अणु वैज्ञानिक डॉ. अनिल काकोडकर, एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रा.डॉ.विश्वनाथ दा. कराड, वैश्विक स्वास्थ्य संगठन के डॉ. चंद्रकांत पांडव, एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्याध्यक्ष प्रा. राहुल विश्वनाथ कराड, महाराष्ट्र राज्य प्राचार्य महासंघ के उपाध्यक्ष प्रा. नंदकुमार निकम, महासचिव डॉ. सुधाकर जाधवर, एमआईटी आर्ट, डिजाईन एंड टेक्नॉलोजी विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रा. मंगेश तु. कराड, डॉ. जय गोरे, एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटीके कुलसचिव प्रा. दीपक आपटे, एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के एमआईटी स्कूल ऑफ मॅनेजमेंट के अधिष्ठाता प्रा. डॉ. रविकुमार चिटणीस, राज्य के शिक्षा संचालक धनराज माने, प्रा. शरदचंद्र दराडे आदि उपस्थित थे.
यहां आईआईटी थिन फिल्म लैबोरेटरीके संस्थापक समन्वयक प्रा. कस्तुरीलाल चोप्रा, विश्वविद्यालय अनुदान आयोगके पूर्वाध्यक्ष डॉ. अरुण निगवेकर, आईआईटी मुंबई के पूर्व सहसंचालक प्रा. एस. सी. सहस्त्रबुद्धे तथा आईआईटी कानपुरके पूर्व संचालक डॉ. संजय धांडे को ‘जीवनगौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया. पुरस्कार के रूप में सम्मानपत्र, शाल, स्मृती चिन्ह व ज्ञानेश्वर माऊली की प्रतिमा दी गई.
– हर धर्म सिर्फ प्रेम सिखाता है
दलाई लामा ने कहा, अलग-अलग धर्म होने के बावजूद हर धर्म का पाठ केवल प्रेम, सहिष्णूता और दयाभाव है. धर्म का गलत अर्थ निकालने से नागरिकों में द्वेष और तिरस्कार बढता जा रहा है. शिक्षकों के जरिए प्रत्येक मानव में सहिष्णूता और प्रेम की भावना निर्माण करनी होगी. पैसा और प्रसिद्धी के आगे जाते हुए आज की शिक्षा पद्धती के जरिए नैतिक मूल्य, प्रामाणिकता, सत्य और सद्भावना का पाठ पढाना चाहिए. छात्रों में आत्मविश्वास निर्माण करे.
– संवाद का आदान-प्रदान होना जरूरी
संवाद के जरिए विचारों का आदन-प्रदान होता है जिससे समाज में शांति स्थापित कर सकते है. पारंपारिक दौर में भारतीय शिक्षा पद्धती में नैतिक मूल्यों का पाठ था. परंतू आज की शिक्षा पद्धती केवल तकनीक पर आधारित होने के बावजूद इसमें संवाद महत्वपूर्ण है. शिक्षा पद्धती में इस बात का समावेश हो की भावनिक प्रश्नों को किस तहर से हल कर सकेंगे. आधुनिक शिक्षा, तकनीक, पूरातन शिक्षा और भावनाओं का मेल निर्माण करने की क्षमता केवल भारत के पास है. गुरुकुल शिक्षा पद्धती में शिक्षक तथा छात्रों में संवाद और सिखने-सिखाने की प्रथा प्रचलित है. नेशनल टीचर्स कांग्रेस के माध्यम से शिक्षकों के दृष्टीकोन का आदान-प्रदान होगा. इससे शिक्षा व्यवस्था का सशक्तिकरण होने के साथ ही सरकार को भी नई दिशा मिलेगी.
– पारंपरिक शिक्षा पद्धति में परिवर्तन जरूरी : डॉ. काकोडकर
डॉ. अनिल काकोडकर ने कहा, आज हम तकनीकी युग में खडे है. ऐसे में पारंपारिक शिक्षा पद्धति में बदलाव लाना जरूरी है. साथ ही रिसर्च जैसी शिक्षा पर जोर देना होगा. टेक्नोसैवी पीढी जिस तेजी से बढ रही है, उसी गति से उन्हें शिक्षा देने के लिए शिक्षकों को नई तकनीक को अपनाना होगा. वैश्विक स्तर पर शिक्षा क्षेत्र में हो रहे बदलाव के आदान-प्रदान के साथ शिक्षा एंव औद्योगिक क्षेत्र को एकत्रित आने पर राष्ट्रनिर्माण की गति भी बढेगी. जिसके लिए संशोधनात्मक शिक्षा पद्धति का माहौल तैयार करना होगा.
– विकास का आधार स्तंभ है युवा पीढ़ी : मुक्ता तिलक
महापौर मुक्ता तिलक ने कहा, देश के विकास का आधारस्तंभ युवा पीढी का निर्माण करने के लिए शिक्षकों के लिए यह महत्वपूर्ण मंच है. यहां प्राथमिक तथा उच्च शिक्षा में आनेवाले विभिन्न समस्याओं को सुलझाने पर चर्चा हो सकती है. नेशनल टीचर्स कांग्रेस में मार्गदर्शन करनेवाले विशेषज्ञों से नई बातों को आत्मसात कर अपने ज्ञान को बढाना होगा.
– ज्ञानदान करनेवाले शिक्षकों का आपसी विचार मंथन : राहुल कराड
प्रा. राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा, ज्ञान दान का अनमोल कार्य करनेवाले देश के शिक्षकों को एकसाथ लाते हुए उनमें विचारों का मंथन कराने के मुख्य उद्देश्य से उपक्रम को शुरू किया है. शिक्षा क्षेत्र के विभिन्न मसलों पर चर्चा करते हुए भावी पीढ़ी निर्माण करनेवाले शिक्षकों को नई दिशा मिलेगी. शिक्षा क्षेत्र में सराहनिय कार्य करनेवाले गुरूओं का सम्मान कर युवा शिक्षकोंके सामने आदर्श निर्माण करने का हमारा प्रयास है.
– विश्व शिक्षा पद्धति पर अमल का समय : डॉ. विश्वनाथ कराड
प्रा. डॉ.विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, मूल्याधिष्ठित वैश्विक शिक्षा पद्धति पर अमल करने का समय आ चुका है. इससे विश्व में शांति निर्माण होने में मदद मिलेगी. अब सारी दुनिया के चिंतनशील इसी अनुमान पर आ पहुंचे है.
डॉ. अरूण निगवेकर ने कहा, देश के प्रत्येक बच्चे का यह मुलभूत अधिकार है कि उसे शिक्षा मिले. पश्चात डॉ. संजय धांडे, डॉ.कस्तूरीलाल चोप्रा, प्रा.एस.सी. सहस्त्रबुद्धे ने आधुनिक शिक्षा पद्धती के साथ भारतीय पारंपारिक शिक्षा पद्धती को अपना होगा. प्रा. रविकुमार चिटणीस ने प्रस्तावना रखी. प्रा. गौतम बापट ने सूत्रसंचालन किया. प्रा.नंदकुमार निकम ने आभार माना.

