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श्वेतांबर जैन साध्वी गुणरत्नाश्री पंचतत्व में लीन

Tez Samachar by Tez Samachar
January 1, 2018
in Featured, प्रदेश
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श्वेतांबर जैन साध्वी गुणरत्नाश्री पंचतत्व में लीन

इंदौर. 2600 साल पहले भगवान महावीर ने 480 दिन का जो कठिन गुणसंवत्सर तप किया था, वही करते हुए 454 दिन से अन्न त्यागने वाली श्वेतांबर जैन साध्वी गुणरत्नाश्री का हार्ट अटैक से मौत हो गई. 23 जनवरी को व्रत पूरा होना था. ह्नींकारगिरि तलहटी पर उनका अंतिम संस्कार किया. इस दौरान हजारों की संख्या में समाजजन पहुंचे. वे गौतमपुरा से 26 दिसंबर को इंदौर आई थीं. उनके अंतिम शब्द थे मरणोपी सज्जावयम. यानी, इस तप के लिए मुझे देह भी त्यागना पड़े तो मैं तैयार हूं. वहीं, आचार्य पुष्पदंत सागर की 60 साल की स्टूडेंट आर्यिका प्रशम माताजी की डेथ गुरुवार को हो गई.
इस उपवास को मुंबई में हंसरत्न विजय ने दो साल पहले पूरा किया था. दो श्राविकाएं भी इस व्रत को पूरा कर चुकी हैं. साध्वी के सांसारिक भाई जितरत्न सागर महाराज ने बताया संपूर्ण जैन समाज में साध्वी गुणरत्नाश्री पहली साध्वी थीं, जो महातप पूरा होने के इतने करीब पहुंची थीं.
– अत्यंत कठिन है ये दो तप
अभा श्री जैन श्वेतांबर महासंघ के मुताबिक, गुणसंवत्सर तप के अलावा दो और तप छह मासी उपवास और सिद्धि तप शामिल हैं. छह मासी तप में महीनेभर उपवास के बाद एक बार पारणा होता है. सिद्धि तप तरल और निर्जल दोनों तरह से होता है.
साध्वी के कलश, डोल पर आसन बिछाने, उपकरण बहराने और दाह संस्कार के लिए 10 बोलियां 25 लाख रुपए की लगाई गईं. आठ लाख 88 हजार 888 रुपए की सबसे ज्याजा बोली अंतिम संस्कार की थी. पांच लाख रुपए जीवदया के नाम से भी सुरक्षित रखे गए.
गुणसंवत्सर तप में 414 उपवास (कुछ खाना-पीना नहीं) और 74 पारणे (काली मिर्च, सौंठ और घी डालकर मूंग, सौंफ व केर का उबला पानी पीना) होते हैं. साध्वी गुणरत्नाश्री ने 407 उपवास और 73 पारणे कर लिए थे. उनका वजन 22 किलो व शुगर लेवल 40 हो गया था.
– 16 महीने का होता है गुणसंवत्सर तप
गुणसंवत्सर तप 16 महीने का होता है. पहले महीने एक दिन उपवास और एक दिन पारणा, दूसरे महीने दो दिन उपवास एक दिन पारणा, तीसरे महीने तीन दिन उपवास और एक दिन पारणा, चौथे महीने चार दिन उपवास और एक दिन पारणा. 16 महीने तक ऐसा चलता है. साध्वी के व्रत का यह 16वां महीना था.
– 16 वर्ष की उम्र में ली थी दीक्षा
गौतमपुरा की रहने वाली साध्वी गुणरत्नाश्री ने 1977 में माता तीर्थरत्नाश्री, पिता जिनरत्नसागर, भाई चंद्ररत्न सागर व जितरत्न सागर और काका-काकी के साथ दीक्षा ली थी. उस दौरान उनकी उम्र 16 वर्ष थी. इस मंडोवरा परिवार से 23 सदस्य साधु-सध्वी बने हैं.

Tags: 10 लाख की बोलीअंतिम संस्कारपंचतत्व में लीनभगवान महावीरश्वेतांबर जैन साध्वी गुणरत्नाश्री
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