पुणे (तेज समाचार प्रतिनिधि) महापालिका में भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकार आने के बाद महापालिका की पहली आम सभा सोमवार को हुई. उम्मीद के अनुसार भाजपा ने अपने पूर्ण बहुमत का अहसास विपक्षियों को कराया. आम नागरिकों के लिए पानी की सुविधा को लेकर जब विपक्षी नगरसेवक अपना पक्ष रख रहे थे, तब महापौर मुक्ता तिलक ने उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया व अपने ही नगरसेवकों को भाषण करने की संधि दी. इससे गुस्साए विपक्षि दलों ने आम सभा में ही नारेबाजी करनी शुरू कर दी. यह सिलसिला थमते ही,जब आम सभा स्थगित करने की बात चल रही थी, तभी विपक्षियों ने प्रस्ताव दिया, उसे खारिज कर सत्तापक्ष की ओर से दिया गए प्रस्ताव को महापौर ने पारित कर दिया. इस वजह से विपक्षियों को फिर एक बार भाजपा के खिलाफ नारेबाजी करनी पड़ी.
– विपक्षी नगरसेवकों को बोलने की संधि नहीं
ज्ञात हो कि सोमवार की आम सभा शुरू होते ही भाजपा के नगरसेवकों ने पानी के मुद्दे पर बोलना शुरू किया. शहर में जलापूर्ति वितरण सही तरीके से नहीं हो रही है, इसको लेकर सभी नगरसेवकों ने आवाज उठायी. सभागृह में भाजपा के अधिक नगरसेवक उपस्थित थे. भाजपा के नगरसेवकों को इस विषय पर भाषण करने का अवसर दिया जा रहा था. लेकिन जब विपक्षी लोग इस विषय पर बोलने लगे, तो महापौर अपने अधिकार का उपयोग कर उन्हें रोकने की कोशिश कर रहीं थी. इतना ही नहीं बल्कि जब पानी के विषय पर एनसीपी की नगरसेवक नंदा लोणकर भाषण कर रहीं थी, तब उन्हें बीच में ही रोककर भाजपा के नगरसेवक अजय खेड़ेकर को उनका पक्ष रखेन का अवसर महापौर मुक्ता तिलक ने दिया. इस वजह से विपक्षी पार्टी एनसीपी व कांग्रेस नाराज हो गई. उन्होंने महापौर के डायस के समक्ष आकर लोणकर को बोलने देने की की मांग की. विपक्षियों की नारेबाजी की वजह से महापौर को अपना फैसला बदलना पड़ा. उन्होंने लोणकर को बोलने का अवसर दिया. बाद में इसी विषय पर जब एनसीपी के नगरसेवक प्रकाश कदम बोल रहे थे, तब पानी की टंकी के विषय पर भाजपा के नगरसेवक राजेंद्र शिलिमकर व कदम में ठन गयी. सभागृह में शिलिमकर के बारे में कदम द्वारा शिष्टाचार ना बरतने की बात कर उन्हें बोलने का मौका महापौर ने नहीं दिया व बैठने के लिए कहा. जब कदम ने कहा कि वे नए हैं, उन्हें सभागृह का शिष्टाचार वे सिखाएं, तब जाकर कदम को बोलने का अवसर दिया गया.
– विपक्षियों का सभा स्थगन का प्रस्ताव खारिज
सभी नगरसेवकों द्वारा इस विषय पर बोलने के बाद जब सभा स्थगित करने का समय आया, तब सभागृह में दो प्रस्ताव दिए गए. इसमें से एक प्रस्ताव सत्ताधारी का था, तो दूसरा प्रस्ताव विपक्षियों का था. सत्ताधारी लोगों ने प्रस्ताव दिया कि राज्य के बजट में मेट्रो के लिए 130 करोड़ व स्मार्ट सिटी के लिए 200 करोड़ का प्रावधान किया गया है, इस वजह से मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया जाए व उसके लिए सभा स्थगित किया जाए. तो विपक्षियों ने यह प्रस्ताव दिया कि मुख्यमंत्री ने बजट में राज्य के किसानों के लिए कुछ नहीं दिया है. कर्ज माफी के बारे में भी कोई फैसला नहीं किया गया है. इन किसानों को मुख्यमंत्री कर्जमाफी दें, ऐसी दरखास्त इस प्रस्ताव से कर सभा स्थगित करने की मांग की थी. लेकिन महापौर ने सिर्फ सत्ताधारी लोगों का प्रस्ताव स्वीकार किया व विपक्षियों का प्रस्ताव खारिज कर दिया. इस वजह से विपक्षियों ने किसान के खिलाफवाली सरकार को लेकर नारेबाजी की.
सभागृह में सभी नगरसेवकों को बोलने का अधिकार होता है, चाहे वह सत्ताधारी पार्टी का हो या फिर विपक्षी. लेकिन महापौर हमारे नगरसेवकों की आवाज दबा रही हैं. उनके इस भेदभाव का हम निषेध करते हैं. अगली बार ऐसा हुआ, तो हम सभागृह में ही तीव्र आंदोलन करेंगे.
– चेतन तुपे, विपक्षी नेता, एनसीपी.