• ABOUT US
  • DISCLAIMER
  • PRIVACY POLICY
  • TERMS & CONDITION
  • CONTACT US
  • ADVERTISE WITH US
  • तेज़ समाचार मराठी
Tezsamachar
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा
No Result
View All Result
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा
No Result
View All Result
Tezsamachar
No Result
View All Result

सत्य व कल्याणकारी कृति का दर्शन ही संस्कृति : डॉ. भटकर

Tez Samachar by Tez Samachar
January 29, 2018
in Featured, पुणे, प्रदेश
0
सत्य व कल्याणकारी कृति का दर्शन ही संस्कृति : डॉ. भटकर
पुणे (तेज समाचार डेस्क). भारतीय संस्कृति में सत्य का दर्शन तथा कल्याणमय कृति का अनुभव है. हजारों सालों पहले मानव संस्कृति का इतिहास लिखा गया था और अगले दौर में लिखा जाएगा. जिसमें विश्‍वशांति तथा मानवता कार्य के लिए तत्त्वज्ञ संत श्री ज्ञानेश्‍वर महाराज विश्‍वशांति प्रार्थना सभागृह के कलशारोहण का भी जीक्र होगा. यह राय नालंदा विश्‍वविद्यालय के कुलपति तथा कम्प्यूटर विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर ने दी.
एमआयटी विश्‍व शांति विश्‍वविद्यालय तथा विश्‍व शांति केंद्र (आलंदी), माईर्स एमआइटी, पुणे, के  संयुक्त तत्त्वावधान में भारत के 69वें प्रजासत्ताक दिवस के उपलक्ष्य पर लोणी कालभोर में विश्‍वशांति और मानवता के प्रतिक रहे तत्त्वज्ञ संत श्री ज्ञानेश्‍वर महाराज विश्‍वशांति प्रार्थना सभागृह का कलशारोहण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
एैतिहासिक कलशारोहण की विधीवत पूजा महान तपस्वी एवं साधक प.पू. श्रीकृष्ण कर्वे गुरूजी, एमआइटी विश्‍वशांति विश्‍वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. विश्‍वनाथ दा. कराड, लोणी कालभोर के रामदरा शिवालय के श्री 1008 श्री महंत हेमंतपुरी महाराज, अयोध्या स्थित महंत डॉ. राघवेश दास वेदांती, वारकरी तथा समाजसेवी ह.भ.प श्री. तुलशीराम दा. कराड तथा वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक ने की.
इस वैश्‍विक स्तर के विश्‍वधर्मी मंगल समारोह में हिन्दू, मुस्लिम, इसाई, सीख, बौद्ध, जैन, जोेरास्ट्रीयन, ज्यू जैसे विभिन्न धर्म के अध्ययनकर्ता तथा विद्वान पं. वसंत गाडगील, शेख बशीर अहमद बियाबानी, अनीस चिस्ती, डॉ.एडिसन सामराज, सरदार राजिंदरसिंह कंडा, भंते नागघोष, ह.भ.प. बालासाहब बडवे, शाहू मोडक ने अपने धर्म की प्रार्थना करते हुए शुभाशीर्वाद दिया.
इस मौके पर ह.भ.प. बापूसाहब मोरे, वरिष्ठ पत्रकार फिरोज बख्त अहमद तथा गोविंद ढोलकिया सम्माननीय अतिथि के रूप में उपस्थित थेे.
साथ ही काशीराम दा. कराड, नागपुर विश्‍वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.एस.एन.पठाण, विश्‍व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार डॉ.चंद्रकांत पांडव एमआइटी डब्ल्यूपीयू के कार्याध्यक्ष प्रा. राहुल विश्‍वनाथ कराड, एमआइटी एडीटी विश्‍वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश तु. कराड, डॉ. सुनिल का. कराड, प्रा. ज्योती ढाकणे, प्रा. स्वाती कराड-चाटे, डॉ. सुचित्रा कराड- नागरे व एमआइटी एडीटी विश्‍वविद्यालय के कुलपति कुलगुरू डॉ. सुनिल राय उपस्थित थे.
डॉ. विजय भटकर ने कहा, इतिहास को देखते हुए मानवी संस्कृति का निर्माण होता है. मानवकल्याण से ही सबको शांति एवं खुशी मिलने का कार्य होता है. जिसमें ज्ञानेश्‍वर एक अद्वितिय संत थे. इस वास्तू के कलशारोहण को काफी महत्व होने के साथ भारतीय एवं मानवी संस्कृति का एक प्रतिक  रहेगा. मानव इतिहास की सबसे बडी घटना गुम्बद का निर्माण है. यहां विश्‍व की सर्वोत्कृष्ट लाइब्ररी होने के साथ उनमें मानवता का विचार देनेवाले, धर्म, तत्त्वज्ञानी, विज्ञान, संस्कृति एवं तत्त्वचिंतनशील ऐसे ग्रंथों का समावेश होगा.
प्रा.डॉ.विश्‍वनाथ दा. कराड ने कहा, भारतमाता की सेवा के लिए अर्पण यह गुम्बद मानवकल्याण के लिए महत्वपूर्ण है. इसके जरिए विश्‍व में शांति स्थापित होने का कार्य होगा. मानव हर समय अंतिम सत्य की खोज में यानी शांति के लिए प्रयास करता है. इस गुम्बद के जरिए संपूर्ण विश्‍व में शांति का कार्य होगा. गुम्बद की विशेषता यह है कि मानवकल्याण के लिए कार्य करनेवाले महापुरूषों के 54 विभूतियों के पुतले बिठाए जाएंगे. साथ ही यहां पर 60 हजार चौरस फूट का ग्रंथालय होगा.
वेदप्रताप वैदिक ने कहा, यहां निर्माण गुम्बद में सर्वधर्म का कुंभ बना है. ससीत से असीत होने का मार्ग यहां मिलता है. इस वास्तू का निर्माण केवल भारत के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण विश्‍व के लिए भाग्य की है. यहां ज्ञान साधना के लिए सकारात्मक उर्जा मिलेगी. व्यक्ति को मोक्ष के लिए बुरी बातों को छोडना पडेगा.
फिरोज वख्त अहमद ने कहा, यहां निर्मित सृष्टि का सबसे बडा गुम्बद यह वैश्‍विक पर्यटन स्थल बनेगा. भारत में आनेवाले अतिविशिष्ट लोगों को स्वयः प्रधानमंत्री इस जगह पर लेकर आएंगे इसमें किसी भी तरह का संदेश नही है. हम मानवतावादी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहे अनुसार रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रान्स्फर आदि बातों का उदा. यहां देखने को मिलेगा.
श्रीकृष्ण कर्वे गुरूजी ने कहा, संत ज्ञानेश्‍वर महाराज ने ज्ञान साधना के बदौलत मानवकल्याण किया. अपने गुणों के बदौलत प्रत्येक मणुष्य आगे आता है. इसलिए महाराज ने बताए हुए सन्मार्ग पर चलना होगा.
ह.भ.प. बापूसाहब मोरे ने कहा. स्वर्णअक्षरों से लिखने जैसी यह घटना है. विज्ञान के प्रत्येक युग में शांति की आवश्यकता है. मानुष्य को सच्ची शांति किसमें मिलती है इसकी पहचान करने का कार्य डॉ.विश्‍वनाथ कराड के जरिए हो रहा है. माणुष्य की सच्ची स्वतंत्रता उसे शांति से मिलती है. डॉ.कराड ने प्रतिकूल परिस्थिति में किया हुआ कार्य सच्चा पुरूषार्थ है. जिसे युवा पिढी के सामने एक आदर्श है. विज्ञान के माध्यम से अध्यात्म को अधिक प्राथमिकता दी है.
अपनी प्रस्तावना में डॉ.एस.एन.पठाण ने कहा, वर्तमान दौर में मानव संस्कृति को शांति की आवश्यकता है. इस कार्य के बीज वारकरी संप्रदया में छुपा हुआ है. शिक्षा का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय एकात्मता है. स्वामी विवेकानंद अनुसार शिक्षा से अच्छे मनुष्य का निर्माण होना चाहिए. साथ ही मन, मतिष्क और कलाई मजबूत करना है. डॉ. विश्‍वनाथ कराड द्वारा निर्मित यह वास्तू 21वीं सदी का सबसे बडा राष्ट्रीय प्रतिक है.
इसके बाद डॉ. राजेंद्र शेंडे तथा बालासाहब  बडवे ने अपने भाषण से गुम्बद से विश्‍व में शांति कैसे स्थापित होगी इस पर प्रकाश डाला. प्रा. गौतम बापट और  प्रा. अतुल कुलकर्णी ने सूत्रसंचालन किया. प्रा. डॉ. मंगेश तु. कराड ने आभार माना.
विश्‍व के सबसे बडे गुम्बद में 54 पुतलों का समावेशः
विश्‍वशांति और मानवता के प्रतिक के रूप में विश्‍वराज लोणी कालभोर स्थित निर्मित विश्‍व के सबसे बडे अद्वितिय ऐसे गुम्बद में विश्‍वकल्याण का महान कार्य करनेवाले तत्त्वज्ञ संत श्री ज्ञानेश्‍वर महाराज, तत्त्वज्ञ संत श्री तुकाराम महाराज, स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, गुरू नानक, भगवान महावीर, भगवान गौतम बुद्ध, येशू ख्रिस्त, बाबा बुल्लेेशा, सेंट पीटर, सेंट फ्रान्सिस ऑफ असिसी, संत मीराबाई, नरसी मेहता, संत कबीर, मदर तेरेसा, योगी अरविंद, महात्मा गांधी, संत तुलसीदास, संत पुरंदरदास, समर्थ रामदास, संत गाडगेबाबा, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज, आद्य शंकराचार्य, महर्षि वेदव्यास आदि महापुरूष तथा संतों के पुतले भितरी हिस्सों में लगाए जाएंगे. साथ ही सभागृह के बाहरी हिस्से में मोजेस, एरिस्टॉटल, सॉके्रटीस, प्लेटो, कांट, हेगेल, स्पिनाजा, आइजॅक न्यूटन, अल्बर्ट आइनस्टाईन, गॅलिलिओ, फैरेडे , बेंजामिन फ्रैकलिन, लुई प्राश्‍चर, चार्लस डार्विन, कोपर्निकस, हिप्पोक्रैटस, आर्यभट, थॉमस एडिसन, मॅक्स प्लँक, युक्लीड, गुरूदेव रविंद्रनाथ टागौर, सी.वी. रामन, डॉ. जगदीशचंद्र बोस आदि पुतलों का समावेश होगा.
Tags: आलंदीएमआईटी माईर्सडा. विश्वनाथ कराडडॉ. मंगेश तु. कराडडॉ. विजय भटकरप्रा. राहुल विश्‍वनाथ कराडसंत तुकाराम
Previous Post

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो. राजेन्द्र सिंह का जन्म दिन – विशेष

Next Post

पुणे में दिल दहला देनेवाला हादसा, खुली डिक्की ने ली 2 की जान

Next Post
पुणे में दिल दहला देनेवाला हादसा, खुली डिक्की ने ली 2 की जान

पुणे में दिल दहला देनेवाला हादसा, खुली डिक्की ने ली 2 की जान

  • Disclaimer
  • Privacy
  • Advertisement
  • Contact Us

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.

No Result
View All Result
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.