नई दिल्ली(तेज़ समाचार प्रतिनिधि): पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइक के समय भूलवश सीमा रेखा पार करके पाकिस्तान जाने वाले भारतीय सैनिक को सैन्य कोर्ट ने दोषी पाया है। इस अपराध के लिए उसे तीन महीने की जेल की सिफारिश की गई है। पाकिस्तान ने इस साल जनवरी में भारतीय सैनिक को भारत को सौंप दिया था। सैन्य अदालत ने चंदू बाबूलाल चव्हाण को तीन महीने कैद की सजा सुनाई है लेकिन सजा की अवधि को कुछ आला अफसरों की स्वीकृति मिलना बाकी है। सिपाही बाबूलाल चव्हाण के मामले की सुनवाई जनरल कोर्ट मार्शल ने की है। चव्हाण सजा के खिलाफ अपील कर सकता है। चव्हान 37वीं राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे।
सर्जिकल स्ट्राइक के कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान पहुंच गया था
पिछले साल सितंबर में भारत ने सीमा रेखा के उस पार पाकिस्तान स्थित आतंकी कैंपों पर सजिर्कल स्ट्राइक की थी। इसके कुछ घंटों बाद सिपाही चव्हारण कश्मीर में सीमा पार कर गया था। तब से ही भारत सरकार, डीजीएमओ और विदेश मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय मंचों के माध्यम से पाकिस्तान सरकार के सपंर्क में थी। काफी माथापच्ची के बाद पाकिस्तान इस बात से सहमत हुआ था कि चंदू गलती से उनकी सीमा पर प्रवेश कर गया था। उसका जासूसी से कोई लेना देना नहीं। इसके बाद जनवरी में उसे पाकिस्तान से भारत के सुपूर्त कर दिया गया था। चंदू बाबूलाल चव्हाण महाराष्ट्र के धुले जिले के वोरबीर गांव के निवासी हैं। उनके भाई भी सेना में ही हैं। जो वर्तमान में गुजरात में तैनात है। चंदू बाबूलाल के पाकिस्तान के कैद होने की खबर सुनने के बाद उनकी नानी लीलाबाई चिंदा पाटील की हृदयघात से मौत हो गई थी।
पूरी तैयारी के साथ की गई थी सर्जिकल स्ट्राइक
सरकार ने मार्च में संसद में बताया था कि भारतीय सेना ने पिछले वर्ष पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक विशिष्ट सूचना के आधार पर की थी। पूरी दक्षता एवं सटीक ढंग से इस अभियान को अंजाम दिया गया था। रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने बताया था कि सर्जिकल स्ट्राइक पूरी दक्षता के साथ की गई और लक्ष्यों पर निशाना साधा गया एवं उन्हें पूरी तरह से तबाह किया गया था। संसद में वर्ष 2017-18 के लिए रक्षा मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांग पर चर्चा का जवाब देते हुए रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने कहा कि बदलती भू-राजनीतिक परिस्थिति में भारत के समक्ष कई तरह की सुरक्षा चुनौतियां हैं और रक्षा बल इस पर सतत नजर रखते हैं।