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सही समय पर सही काउंसलिंग बदल देती है जिन्दगी

Tez Samachar by Tez Samachar
September 22, 2017
in Featured, विविधा
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सही समय पर सही काउंसलिंग बदल देती है जिन्दगी

प्रख्यात काउंसलर नीतल शिंगारे से विशेष बातचीत के अंश
एक समय था, जब हम संयुक्त परिवार में रहा करते थे. हमारे बड़े-बुजुर्ग जीवन के हर मोड़ पर हमारा मार्गदर्शन करने के लिए तत्पर रहते थे. एक-दूसरे के प्रति कोई वैमनस्य नहीं था. यहां तक कि हमारे पड़ोसी, नाते-रिश्तेदार भी जब कभी हमें मार्गदर्शन या परामर्श की आवश्यकता होती थी, पूरी समर्पकता से परामर्श दिया करते थे. इन सभी के परामर्श को आशीर्वाद समझ कर किया गया काम सदैव हमें सफलता की ओर ले जाता था.

लेकिन आज समय काफी बदल गया है. आज का रहन-सहन, खान-पान, लोगों की सोच, मानसिकता, एक-दूसरे को देखने का नजरियां सब कुछ बदल गया है. आज हम संयुक्त परिवार से एकल परिवार की ओर ज्यादा बढ़ रहे हैं. वैसे संयुक्त परिवार का बिखरना आज की मजबूरी हो गई है. पढ़ने-लिखने के बाद अमूमन लोगों को रोजगार या व्यापार के सिलसिले में अपना शहर-गांव छोड़ कर अन्यत्र जाना पड़ता है और फिर लोग वहीं बस भी जाते है.

शहरों की जिन्दगी तो जैसे मशीन हो गई है. सुबह से शाम तक व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ अपनी आजीविका के लिए भागता ही रहता है. दौर प्रतियोगिता का है, इसलिए भागते रहना लाजमी है. जहां कहीं भी हम थम गए, तो समझों पिछड़ गए. ऐसे में हमारे परिवार में अनेक समस्याओं ने जाने-अनजाने प्रवेश कर लिया. ऐसा नहीं है कि इन समस्याओं का निराकरण कोई मुश्किल काम है, लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में हमारे विचार, हमारी सोचने की शक्ति इतनी सीमित हो गई कि कई बार हम अपनी समस्याओं को सुलझाने की बजाए और उलझा लेते है.

आज की दौड़-भाग में व्यक्ति अपने परिवार को पर्याप्त समय नहीं दे पाता. इसका असर हमारे बच्चों पर होता है. बच्चों से कोई गलती हो जाए, तो व्यक्ति अपनी पत्नी को इसके लिए जिम्मेदार मान कर उस पर रोष करता है. शाम को जब हम थकेहारे घर में आते हैं और इस समय यदि घर के किसी बड़े बुजुर्ग ने कुछ कह दिया, तो हमारा आपा खो जाता है और एक समय आता है कि हम उन्हें अपने जीवन का बाधक मानकर उन्हें बोझ समझने लगते है. इन्हीं सब कारणों से कई बार हम अपने करियर को लेकर उचित निर्णय नहीं ले पाते. निष्कर्ष यह है कि हम अपनी ही समस्याओं में ऐसे घिर जाते है कि अक्सर हम गलत निर्णय ले कर और अधिक परेशानी को आमंत्रित करते है. ऐसे में यदि कोई हमें सलाह भी दे, तो हमारे सामने द्विधा स्थिति होती है कि सामनेवाला जो सलाह हमें दे रहा है, वह सही है या गलत.

ऐसे में जरूरत होती है एक ऐसे व्यक्ति की, जो हमारी समस्याओं को समझे, हमारे विचारों को समझे, हमारी परिस्थितियों को समझे और फिर हमारा मार्गदर्शन करे. वर्तमान में लोगों की इस समस्या को देखते हुए अनेक लोगों ने परामर्शदाता या काउंसलिंग को अपना करियर बना लिया है. ये लोग पूरी तरह से बौद्धिक रूप से सुलझे होते है और समाज की परेशानियों से भलीभांती परिचित होते है. ये लोग आपकी समस्याओं को समझ कर निष्पक्ष रूप से सटिक परामर्श आपको देते है. अनेक समझदार लोग ऐसे भी है, जो कोई भी निर्णय लेने से पहले ऐसे काउंसलरों से राय जरूर लेते है.

आज हम आपकी मुलाकात ऐसे ही एक काउंसलर से करवाने जा रहे हैं, जो पिछले अनेक वर्षों से इस क्षेत्र में है और हर वर्ग के लोगों की काउंसलिंग करती है. हम बात कर रहे हैं, पुणे की प्रख्यात काउंसलर नीतल शिंगारे की. नीतल वैसे तो हर वर्ग के लोगों की हर समस्या की काउंसलिंग करती है, लेकिन मुख्य रूप से बच्चों की काउंसलिंग में उन्हें महारत हासिल है. इनके परामर्श से आज अनेक ऐसे बच्चे जो पढ़ाई में पिछड़ रहे थे, जिद्दी थे, होनहार बन गए है. कई ऐसे लोग जो अपने करियर को लेकर उचित निर्णय नहीं ले पा रहे थे, नीतल शिंगारे के परामर्श से आज अपना करियर संवार चुके हैं.

नीतल बताती है कि आज शहर में रहनेवाले परिवार इस कदर अपने आप में उलझे हैं कि वे अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते. दूसरा यह कि शहर में रहनेवाले परिवार अपने बच्चों से उनकी क्षमता से कई गुना ज्यादा उम्मीद करने लगे हैं. इसके साथ ही आज के पालकों ने अपने बच्चों से उनका बचपन छीन कर उन्हें प्रतियोगिता की दौड़ में दौड़ा दिया है. ऐसे में उसके जरा भी पिछड़ने से पालक इसे अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लेते है और इन सबका शिकार वह बच्चा होता है, जो अपना बचपन जीना चाहता है. नीतल बताती है कि ऐसे में बच्चे जिद्दी बन जाते हैं या फिर गुमसुम हो जाते हैं. कई बच्चे इतनी दहशत में जीते है कि परीक्षा में जरा भी कम नंबर आने पर निराश हो जाते है. कई माता-पिता तो ऐसे है, जो बच्चे के पैदा होने के पहले ही उनका करियर तय कर देते हैं, कि हमारा बच्चा बड़ा हो कर ‘क्या’ बनेगा. माता-पिता अपने बच्चों पर अपनी उम्मीदों को थोप देते है, तो बच्चे न तो वह बन पाते है, जो माता-पिता चाहते है और न वह बन पाते है, जो वे स्वयं चाहते है.

नीतल बताती है कि ऐसे कई माता-पिता अपने बच्चों को उनके पास लेकर आते है. ये माता-पिता शिकायत करते हैं कि उनका बच्चा जिद्दी हो गया है, पढ़ाई नहीं करता आदि. लेकिन उन बच्चों से बात करने पर ज्ञात होता है कि काउंसलिंग की जरूरत बच्चों से ज्यादा उनके माता-पिता को ही है. ऐसे में नीतल बच्चों और उनके माता-पिता तीनों की काउंसलिंग करती है. उन्हें उनके खोखले सपनों से बाहर जाया जाता है और उस दिशा में चलते के लिए प्रेरित किया जाता है, जो राह उन्हें विकास और शांति की ओर ले जाती है.

– पारिवारिक समस्याओं की काउंसलिंग
नीतल शिंगारे बताती है कि हमारे परिवार में भी अनेक समस्याएं ऐसी है, जिसके लिए काउंसलिंग की जरूरत होती है. एकल परिवारों में देखा गया है कि पति-पत्नी में भरपूर प्रेम होता है. दोनों को एक दूसरे से प्रेम है, लेकिन विचारों की भिन्नता के कारण पति-पत्नी के बीच अक्सर विवाद होते रहते है. ऐसे में यदि पति-पत्नी दोनों की काउंसलिंग की जाए, तो उनका परिवारिक जीवन सुन्दर हो सकता है. नीतल शिंगारे ने ऐसे अनेक दंपतियों की काउंसलिंग कर उनके जीवन को सुखमय बनाया है.

इसी तरह से मानसिक रूप से निराश युवक-युवतियों की काउंसलिंग कर नीतल शिंगारे ने उनके जीवन में नई रोशनी का संचार किया और जीवन को नए सिरे से शुरू करने के लिए प्रेरित किया है. कई ऐसे युवा जो अपने करियर को लेकर परेशान थे, ऐेसे युवाओं का मार्गदर्शन कर नीतल शिंगारे ने उनके करियर को सही दिशा दी और उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित किया.

नीतल बताती है कि आज के दौरा में काउंसलिंग हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है. लेकिन लोगों में अभी इस बात की जागरुकता नहीं हुई है कि उन्हें इस बात की प्रेरणा मिल सके कि हमें अपनी समस्याओं के लिए काउंसलिग करानी चाहिए. कई लोग इसे समय और पैसे की बदबादी मानते है, लेकिन जिन लोगों ने काउंसलिंग का अनुभव लिया है, उनके जीवन में सकारात्मक और ऊर्जात्मक बदलाव देखने को मिला है. नीतल बताती है कि काउंसलिंग को लेकर समाज में जनजागृति की बहूत जरूरत है. सामाजिक संस्थाओं को इसके लिए आगे आ कर लोगों को काउंसलिंग के प्रति प्रेरित किया जाना चाहिए. शासकीय स्तर पर भी अभी तक कुछ ही क्षेत्रों में काउंसलिंग की जाती है. लेकिन यह हर क्षेत्र में आवश्यक है. विदेशों में लोग समय-समय पर काउंसलिंग कराते रहते है. यहां तक कि उन्नत देशों में लोग अपने व्यक्तिगत काउंसलर को नियुक्त करते हैं और समय-समय पर उसका परामर्श लेते रहते है. हालांकि अब हमारे देश में भी लोग काउंसलिंग का महत्व समझने लगे है और काउंसलिंग करा रहे हैं.

Tags: काउंसलरकाउंसलिंगनीतल शिंगारेपरामर्शदातापुणे
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